तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते के सो गये हम रोते-रोते चरागों से जीत गया मैं वो बुझ गये संग जलते-जलते अरमानों की आखिरी उम्मीद भी आज खत्म हो गई साथ चलते-चलते लड़खड़ाते हुए उठा तो था लेकिन गिर गया मैं फिर संभलते संभलते ऐसे उजड़ा चमन अपना अमन के खाक हो …
Read More »…..चेहरा खुद ब खुद खिल उठता है जब घर जाता हूं
कोई ख्वाहिश अधूरी सी लगती है जब घर जाता हूं, एक तड़प फिर से उभर जाती है जब घर जाता हूं। आंगन में बैठकर अपने बचपन से बातें करना देर तक, के चांद आकर छत पर बैठ जाता है जब घर जाता हूं। रास्तों ने कदमों को पहचानकर …
Read More »… और लोग इसे मेरी, औकात समझ बैठे
बहुत सोचना पड़ता है, मुंह खोलने से पहल। क्योंकि अब दुनिया दिल से नहीं, दिमाग से रिश्ते निभाती है। रिश्ते संजोने के लिये मैं, झुकती हमेशा ही रही। और लोग इसे मेरी, औकात समझ बैठे। … दीपिका टंडन
Read More »….जब तक खुली आंख रहे तब तक याद आते हो
जब चांद आसमां से ताकता है याद आते हो, जब तक खुली आंख रहे तब तक याद आते हो। ख्बावों में यूं तो मिलना रोज़ ही होता है अक्सर, अगर नहीं मिलती हो तो ख्यालों में याद आते हो। कहने को गुज़र रही है उम्र बस यूं ही तन्हा, मगर …
Read More »… अब खुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
जो गुजारी न जा सकी हमसे, हमने वो जिंदगी गुजारी है। अब खुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला, हमने अपना लिया हर रंग जमाने वाला। अब रख सको तो मुझसे कोई ऐसा राब्ता रखना, पूरी तरह हो जाओ मेरे तो आना लौट कर वर्ना यूं ही फासला बनाये रखना। …
Read More »….लोग जहर में डूबे किरदार क्यों हैं
इतने बेताब इतने बेकरार क्यूं हैं, लोग जरूरत से ज्यादा होशियार क्यों हैं। सामने तो सभी दोस्त हैं लेकिन, पीठ पीछे दुश्मन हजार क्यों हैं। हर चेहरे पर एक मुखौटा है यारांे! लोग जहर में डूबे किरदार क्यों हैं। सब काट रहे हैं इक दूजे को, लोग सभी यहां दुधारी …
Read More »ऐ! जिंदगी तेरे फलसफे समझ नहीं आते।
तेरी किताब के हर्फ समझ नही आते, ऐ! जिंदगी तेरे फलसफे समझ नहीं आते। कितने पन्ने हैं किसको संभाल कर रखूं, और कितने फाड़ दू सफे, समझ नहीं आते। चैंकाया है हर मोड़ पर ऐ जिंदगी यूं हर मोड़ पे, बाकी हैं और कितने शिगूफे, समझ नहीं आते। हम तो …
Read More »हिसाब बराबर हुआ चलो कोई .गम नहीं
हिसाब बराबर हुआ चलो कोई .गम नहीं, हमारे पास तुम नहीं तुम्हारे पास हम नहीं। मेरी आंखों में छिपी उदासी को महसूस तो कर, हम वो हैं जो सब को हंसा कर सारी रात रोते हैं। वक्त का पता ही नहीं चलता अपनों के साथ, मगर अपनों का पता चलता …
Read More »कुछ देर तो लगेगी आंसुओं को छुपाने में
यादों को भुलाने में, कुछ देर तो लगती है, आंखों को सुलाने में। किसी शख्स को भुला देना आसां तो नहीं होता, कुछ देर तो लगती है दिल को समझाने में। कुछ देर तो लगती है यादों को भुलाने में… भरी मेहफिल जब कोई अचानक याद आ जाये, कुछ देर …
Read More »…. आईने के सामने खड़े हो के, खुद से ही मांग ली माफी मैंने
आईने के सामने खड़े हो के, खुद से ही मांग ली माफी मैंने। किसी ने यूंही पूछ लिया हमसे कि, दर्द की कीमत क्या है। हमने हंसते हुए कहा-पता नहीं, कुछ अपने तो मुफ्त में दे जाते हैं। आईने के सामने खड़े हो के, खुद से ही मांग ली माफी …
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