तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते
के सो गये हम रोते-रोते
चरागों से जीत गया मैं
वो बुझ गये संग जलते-जलते
अरमानों की आखिरी उम्मीद भी
आज खत्म हो गई साथ चलते-चलते
लड़खड़ाते हुए उठा तो था लेकिन
गिर गया मैं फिर संभलते संभलते
ऐसे उजड़ा चमन अपना अमन
के खाक हो गया मकां बनते-बनते
अमन का ख्याल…