नयी दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनावी मैदान में सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे के आगे ताल ठोक रहे हैं। दोनों ही राजनीतिक दल विकास और जनहित के कार्यक्रमों को दर किनार कर गाय और हिन्दुत्व जैसे मुद्दों पर चुनाव प्रचार में जुट गये हैं। हाल ही में गुजरात में बीजेपी की सत्ता बरकरार रही है। पार्टी इस विजय अभियान को किसी भी सूरत में जारी रखना चाहती है। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने अपनी पहली चुनावी रैली की और बीएस येदुरप्पा को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। कर्नाटक में बीजेपी की नैया पार लगाने में केवल दागी और बागी नेता बीएस येदुरप्पा की सक्षम हैं। कर्नाटक में पहली बार येदुरप्पा ने ही बीजेपी की सरकार बनवायी थी। कर्नाटक में बीजेपी के लिये येदुरप्पा ही संकट मोचक हैं। यही वजह है कि बीजेपी आलाकमान और पीएम ने दागी और बागी येदुरप्पा पर एक बार फिर से दांव खेला है। मालूम हो कि येदुरप्पा को संघ का भी वरदहस्त प्राप्त है।
बीएस ने पहली बार 1972 में कर्नाटक के शिकारीपुरा से विधानसभा का चुनाव जीत कर अपनी विजययात्रा शुरू की। येदुरप्पा अब तक शिकारीपुरा से छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 16वी लोकसभा के चुनाव में शिमोगा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये। दागी होने के बाद भी येदुरप्पा पर बीजेपी मेहरबान है। येदुरप्पा सत्ता के लिये किस हद तक गिर सकते हैं यह बात इससे जाहिर होती है कि उन्होंने जेडीएस से गठबंधन भी किया। 2004 में जेडीएस के गठबंधन की सरकार में कुमार स्वामी ने सीएम की गद्दी संभाली।
करार के मुताबिक शुरू के बीस माह तक कुमारस्वामी सीएम रहेंगे उसके बाद येदुरप्पा सीएम बनेंगे। लेकिन बीस माह बाद ने सीएम पद छोड़ने से इनकार कर दिया। इसके चलते बीजेपी ने गठबंधन तोड़ते हुए समर्थन वापस ले लिया और प्रदेश में प्रेसीडेंट रूल कायम हो गया। कुछ समय बाद दोनों दल सत्ता के लिये एक बार फिर एकमत हुए और गठबंधन की सरकार बनी। इस बार येदुरप्पा कर्नाटक के सीएम बने। लेकिन यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और कुमारस्वामी ने मंत्रिमंडल में अपने विधायकों को जगह न मिलने को लेकर समर्थन वापस ले लिया। 2008 के चुनाव में बीजेपी ने बीएस के नेतृत्व में भारी सफलता प्राप्त की और प्रदेश में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी। चुनाव के दौरान तत्कालीन सीएम बंगरप्पा के समर्थन में आईएनसी व जेडीएस थे इसके बावजूद येदुरप्पा व पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और येदुरप्पा ने सीएम पद संभाला।
इसी दौरान कर्नाटक लोकायुक्त सीएम येदुरप्पा के खिलाफ लौह अयस्क के अवैध खनन की शिकायत की सुनवायी कर रहे थे। उनकी रिपोर्ट में सीएम येदुरप्पा को दोषी बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार बेल्लारी, तमकुर और चित्रदुर्गा में अवैध खनन में सीएम येदुरप्पा की सहमति और भागीदारी थी। यह मामला मीडिया में काफी चर्चा में रहा। न चाहते हुए भी बीजेपी सेंट्रल लीडरशिप ने बीएस से इस्तीफा लिखवा लिया। इससे येदुरप्पा इतने ज्यादा आहत हुए कि उन्होंने बीजेपी एमएलए व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इतना ही नहीं उन्होंने नवंबर 2012 कर्नाटक जनता पक्ष नाम से राजनीतिक दल बना डाला।
2013 में येदुरप्पा ने राजनीतिक भविष्य संकट में देखते हुए अपनी पार्टी केजेपी का बिना शर्त बीजेपी में विलय कर दिया। 2014 के आम चुनाव में शिमोगा संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल करते हुए पहली बार संसद पहुंचे। भाजपा को भी बीएस के समर्थन से भारी सफलता प्राप्त की। भाजपा ने उसी कर्ज को चुकाने के लिये बीएस येदुरप्पा को सीएम पद का प्रत्याशी घोषित किया है।
विनय गोयल
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