देश की सियासत में अपनी सबसे मज़बूत दख़ल रखने वाले उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मगर अभी से सियासी माहौल गर्म होता जा रहा है। वैसे सियासी माहौल में उबाल आने की एक वजह यह भी है, कि हाल ही में जिस तरह से बुलंदशहर में सामूहिक दुष्कर्म की वारदात सामने आई है, उसने राज्य सरकार को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। विपक्षी पार्टियों को तो जैसे बैठे बिठाये ही एक मुद्दा मिल गया है। इसी को हथियार बनाते हुए वो प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साध रही हैं। यहां तक की सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पद से हटाये जाने मांगें भी तेज़ होती हुईं नज़र आ रही हैं।
वैसे चलिये यह तो एक मामला है जिस पर सियासी दल रोटियां सेंक रहे हैं लेकिन राज्य अपराध ब्यूरो के आंकड़े जिस तरह की तस्वीर को सामने रख रहे हैं वो यह बताने के लिये काफी है, कि राज्य की हालत इस समय कैसी है। आंकड़ों के हिसाब से अगर बात करें तो राज्य में दुष्कर्म की घटनाओं में तो तकरीबन सौ फीसदी तक की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। 2014 में जहां यूपी में रेप के 3,467 मामले सामने आये तो वहीं 2015 में ये आंकड़ा बढ़कर 9,075 हो गया है। अब सियासत से जुदा होकर राज्य सरकार को यह सोचने की जरूरत है कि आखिर अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद कैसे हैं।