‘केंद्र का एक्सपेरिमेंट है दिल्ली अध्यादेश’, केजरीवाल बोले- वो दिन दूर नहीं, जब गवर्नरों के सहारे पीएम… !

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा हैं. वह विपक्षी एकता की बैठक से पहले विपक्ष के नेताओं को यह समझाने मे लगे हैं की ऐसा ही अध्यादेश आपके राज्यों के लिए भी आ सकता हैं. केजरीवाल जी का तरीका कुछ वैसा ही जैसे विपक्ष के नेता आम जनता के साथ करते है सरकार के खिलाफ उन्हे डराने के लिए. लेकिन केजरीवाल साहब इस तरह के हथकंड़े अपनाने से पहले यह भूल जाते है की भारत एक संघीय ढ़ाचा है. राज्य की स्वछंदता ना ही सरकार और ना ही संसद खत्म कर सकती है. शायद यह बात विपक्ष भी अच्छे से समझता हैं. क्या है खबर बताते है आपको ………… लोकसभा चुनाव 2024 से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ साझा विपक्ष की कोशिशों में तेजी आती दिख रही है. इसी के मद्देनजर 23 जून को बिहार के पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक आयोजित की जानी है. इस बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार  को विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिखी है.आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी दलों की इस मीटिंग में दिल्ली अध्यादेश को संसद में हराने की रणनीति पर सबसे पहले चर्चा हो. केजरीवाल ने इस चिट्ठी में दावा किया है कि दिल्ली अध्यादेश का प्रयोग सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासन वाले राज्यों में भी ऐसे अध्यादेश लाकर राज्य सरकारों के अधिकार छीन लेगी.अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी में दावा किया कि दिल्ली अध्यादेश पर उन्होंने बहुत ज्यादा अध्ययन किया है. केजरीवाल के मुताबिक, ऐसा अध्यादेश केवल दिल्ली के लिए लाया जा सकता है, ये सोचना गलत होगा. दिल्ली के सीएम का मानना है कि समवर्ती सूची में आने वाले विषयों को लेकर केंद्र सरकार ऐसा ही अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के अधिकार छीन सकती है.दिल्ली के सीएम ने दावा किया, ”केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है. अगर वो इसमें सफल हो जाती है तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे. इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें.केजरीवाल ने चिट्ठी में दावा किया कि दिल्ली अध्यादेश लागू होने के बाद राज्य में जनतंत्र खत्म हो जाएगा. इसके बाद दिल्ली की जनता जो भी सरकार चुनेगी, उसके पास कोई ताकत नहीं होगी. गवर्नर के जरिये केंद्र सरकार दिल्ली की सरकार चलाएगा. चाहे किसी भी पार्टी की सरकार चुनी जाए. दिल्ली के बाद अन्य राज्यों में भी यही होगा. वो दिन दूर नहीं जब गवर्नर और राज्यपालों के जरिये पीएम सभी राज्य सरकारें चलाएंगे.