शराब के बाद BJP को केजरीवाल की ‘मुफ्त बिजली’ में भी घोटाले का शक, चाहती है CAG ऑडिट

दिल्ली के सीएम केजरीवाल की मुश्किले अब कम होने का नाम नही ले रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ कर भारतीय राजनीति मे आए केजरीवाल पर एक के बाद एक घोटोले के आरोप लग रहे है. यह बड़ा ही विचित्र है की जो पार्टी भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति का सपना दिखा रही थी उसी के पार्टी के कई दिग्गज कथित घोटाले के आरोप मे जेल के पीछे है और अब कभी भी मिस्टर इमानदार सीएम केजरीवाल की बारी आ सकती है अभी शराब घोटाले की जांच चली ही रही थी तब तक खबर आने लगी है की फ्री बिजली के मामले मे भी भ्रष्टाचार के आरोप लग सकते है. क्या है खबर बताते है आपको ….. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर शराब घोटाले का आरोप लगाकर घेराबंदी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिजली सब्सिडी योजना में भी गड़बड़ी की आशंका जाहिर कर रही है. पार्टी ने दिल्ली सरकार की ओर से कराए जा रहे ऑडिट पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि बिजली कंपनियों को दी गई सब्सिडी की जांच भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) से कराई जाए. दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार जो ऑडिट करा रही है उसे प्रभावित किया जा सकता है. सचदेवा ने कहा, ‘कैग के पैनल वाले ऑडिट को हम स्वीकार नहीं करते हैं. सरकार और डिस्कॉम ऐसे ऑडिट को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं.’ दिल्ली सरकार की ओर से इस पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. सचदेवा ने पूछा कि क्या किसी निजी ऑडिटर ने कभी अपने क्लाइंट के खिलाफ रिपोर्ट दी है? दिल्ली सरकार ने एक दिन पहले ही बिजली नियामक डीईआरसी को 2016 से 2022 के बीच डिस्कॉम को जारी की गई बिजली सब्सिडी का विशेष ऑडिट करने का आदेश दिया ताकि किसी भी अनियमितता की पहचान की जा सके और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके. सचदेवा ने कहा, ‘पावर सब्सिडी का CAG एमपेनलड आडिटरों से आडिट एक छलावा है. यह कैसे मुमकिन है की प्राइवेट आडिटर जिससे पैसे लेगा उसके खिलाफ रिपोर्ट देगा. पिछले 8 साल से अरविंद केजरीवाल और निजी कम्पनियां मिल कर घोटाला कर रही हैं. हम मांग करते हैं आडिट CAG से हो. सचदेवा ने कहा कि पिछले 8 साल से अधिक समय से अरविंद केजरीवाल सरकार पावर डिस्कॉम को बिजली सब्सिडी बिना किसी ऑडिट मैकेनिज्म के देती रही हैं. उन्होंन कहा, ‘सच यह है कि पावर डिस्कॉम में दिल्ली सरकार और निजी कंपनियां बराबर की भागीदार हैं. पावर डिस्कॉम बोर्ड में आम आदमी पार्टी नेताओं की नियुक्ति की पोल खुलने के बाद से यह सवाल उठता रहा है कि पावर डिस्कॉम को दी गई सब्सिडी का एक हिस्सा क्या किसी ना किसी रूप में आम आदमी पार्टी को वापस मिल रहा है. केजरीवाल सरकार को यह ऑडिट सिफारिश उपराज्यपाल के जांच शुरू करने के बाद करनी पड़ी है.