केजरीवाल पर गुजरात हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना कहा आपकी याचिका भ्रामकता को पैदा करने वाली है हम याचिका रद्द करते है ………….

अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजनीति मे बेईज्जत होने का ठेका ले लिया है, हर दिन किसी ना किसी रुप मे बेईज्जत होते है ओर फिर अगले दिन वह नए जोश के साथ बेईज्जत होने के लिए तैयार रहते है. राजनीति हो या न्यायपालिका की चौखट हर जगह केजरीवाल बेईज्जत होने का कीर्तिमान रच रहे है. देश की राजनीति के स्वयंभु कथित सुधारक अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी पर निजी और अपनी पार्टी विस्तार के लिए झुठे और भ्रामक आरोप लगाते रहते है. लेकिन केजरीवाल कहते थे की वह झुठा नही तथ्य आधारित आरोप लगाते है. लेकिन देश के एक राज्य के उच्च न्यायलय ने भी मोहर लगा दी है की आप प्रधानमंत्री के खिलाफ झूठा और भ्रामक प्रचार कर रहे और इतना ही नही अदालत ने अपनी बात कहते हुए केजरीवाल पर 25000 का जुर्माना भी लगा दिया और उनकी याचिका भी निरस्त कर दी. आखिर क्या है पुरा मसला और मोदी के खिलाफ किस कोर्ट मे पहुंचे केजरीवाल और क्या कहते हुए कोर्ट ने केजरीवाल पर जुर्माना लगा दिया बताएंगे सब कुछ आपको इस खबर मे देखिए हमारी यह रिर्पोंट…… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पढ़ाई -लिखाई और डिग्री पर सवाल उठाने वाले अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने मोदी की एमए की डिग्री सार्वजनिक करने की मांग की थी. गुजरात हाई कोर्ट ने इसे तुच्छ और भ्रामक पिटिशन करार देते हुए केजरीवाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया. जिसमें आरटीआई के तहत डिग्री देने की बात कही गई थी.गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब अरविंद केजरीवाल ने फिर से पीएम मोदी की शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाना शुरू किया है. केजरीवाल ने हाल ही में विधानसभा के अंदर कहा था कि पीएम मोदी अनपढ़ हैं. वे देश कम पढ़े-लिखे पीएम हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि पीएम सिर्फ 12वीं पास हैं. आम आदमी पार्टी देशभर में पीएम की पढ़ाई पर सवाल खड़े कर रही है. गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव ने गुजरात यूनिवर्सिटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया. केंद्रीय सूचना आयोग ने 2016 में गुजरात विश्वविद्यालय को आरटीआई के तरह पीएम मोदी की एमए की डिग्री देने का आदेश जारी किया था. केंद्रीय सूचना आयोग ने बिना गुजरात विश्वविद्यालय को नोटिस दिए हुए ही आर्डर पास कर दिया था. केजरीवाल को समझना होगा की निजी  और राजनीतिक फायदे के लिए देश के प्रधानमंत्री पर अमर्यादीत टिप्पणी करने से बचना चाहिए.