Asad Ahmed Encounter: असद अहमद के एनकाउंटर पर अब कांग्रेस ने भी उठाए सवाल, पूछा- ‘पुलिस को खरोंच क्यों नहीं आई?

यूपी का वो माफिया जिसका एक दौर मे ऐसा खौफ था की एक साथ 10 जजों ने उसके केस की सुनवाई करने से ही मना कर दिया था. लेकिन 17 साल के उम्र मे पहला अपराध करने वाले अतिक को क्या ही पता था की उसको सजा दिलाने वाला एक योगी होगा. राजनीतिक संरक्षण मे पनपा और यूपी से अपराध का पर्याय बन चुका बाहुबली अतिक लाचार और असहाय है. उसका एक भी पैतरा काम मे नही आ रहा है. अतीक का पुरा कुनबा ही जयराम की दुनिया मे था और उसको इस जयराम की दुनिया मे लाने वाला अतीक ही था. लेकिन अतीक को क्या ही पता था की अपराध की इस अंधेरी दुनिया मे उसका परिवार ही खो जाएगा. अतीक तीसरे नंबर का बेटा असद जो उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य आरोपी था. उसको कल यूपी के झांसी मे एंनकाउंटर कर ढ़ेर कर दिया था. जिसके बाद दुर्दांत अतीक योगी के सामने गिड़गिड़ाने लगा सोचिये यह वही दुर्दांत अतीक है जिसने कितने ही बच्चो को अतीम किया होगा कितने ही पिता को जवान बेटे को अग्नि देने पर मजबूर कर दिया होगा. लेकिन समय सबका हिसाब करता है, जरिया किसी और को बना देता है. यूपी मे हो भी यही रहा है माफिया अब योगी के सामने गिड़गिड़ाने लगे है. अतीक भी गिड़गिड़ाया पुलिस रिमांड मे की असद से तो नही मिल पाया लेकिन उसकी अम्मी से ही मिलवा दो यह कुझ वैसा ही है जब इंसान को अपना अंतिम समय दिख रहा हो. आखिर क्या बोला अतीक पुलिस कस्टड़ी मे बताते है आपको ख़बर मे …….. प्रयागराज शूटआउट के 49वें दिन यूपी एसटीएफ ने मोस्‍टवांटेड असद और शूटर गुलाम को एनकाउंटर  में ढेर कर दिया. बेटे असद की मौत के बाद यूपी पुलिस के कसते शिकंजे से माफिया अतीक अहमद  खौफ में आ गया है. धूमनगंज थाने के लॉकअप में बंद अतीक पूछताछ के दौरान कई बार रो पड़ा. इस दौरान उसे उसकी गलतियों का एहसास भी हुआ. उसने कहा, ‘अब तो हम मिट्टी में मिल गए हैं, सब मेरी गलती है. असद की कोई गलती नहीं थी.’ अतीक ने कहा, ‘दुनिया का सबसे बड़ा गम बुजुर्ग पिता के कंधों पर जवान बेटे का शव होता है.पुलिस ने बताया कि लॉकअप में अतीक बार-बार गिड़गिड़ा रहा है और असद के जनाजे में जाने की मांग कर रहा है. कस्टडी में पूछताछ के दौरान अतीक बोला , ‘हम मिट्टी में मिल गए. सब मेरी गलती है… असद की कोई गलती नहीं थी. जवान बेटों और भाइयों की कोई जिम्मेदारी नहीं ले सकता है. दुनिया का सबसे बड़ा गम बुजुर्ग पिता के कंधों पर जवान बेटे का शव होता है. असद नहीं रहा उसकी अम्मी से हमें मिलवा दो. इसलिए कहते है की जुर्म वो रास्ता है जहा जाना आसान है लौटना नही.