Ngaland Election 2023: अमित शाह को चुनाव के बाद दे सकते हैं नागालैंड को बड़ा तोहफ़ा, क्या NDA ही दे पायेगी इस परेशानी का समाधान ……….!

विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वी नागालैंड की मांग का मुद्दा फिर से जोरों पर है. इस बार अच्छी खबर यह है कि पूर्वी नागालैंड की मांग करने वाले गुटों ने चुनाव बहिष्कार करने की मांग को वापस ले लिया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विधानसभा चुनाव के बाद नागालैंड में एनडीपीपी और भाजपा की अगली सरकार बनाने पर जोर देते हुए लोगों को आश्वासन दिया कि ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का चुनाव के बाद समाधान किया जाएगा. अमित शाह पूर्वी नागालैंड के अपने पहले दौरे में भाजपा और एनडीपीपी उम्मीदवारों के लिए मोन टाउन में एक प्रचार सभा को संबोधित कर रहे थे.

ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन यानी ईएनपीओ लंबे समय से एक अलग राज्य, फ्रंटियर नागालैंड या पूर्वी नागालैंड के गठन की मांग कर रहा हैं. इस इलाके में छह पूर्वी नागालैंड जिले शामिल हैं. अमित शाह की इस इलाके में यात्रा ऐसे समय में हुई जब ईएनपीओ ने विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की मांग वापस लेते हुए इसमें शामिल होने का आह्वान किया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ कई बैठकों के बाद, ईएनपीओ ने इस आश्वासन पर बहिष्कार की मांग को वापस लेने की घोषणा की थी कि “उचित प्रक्रिया का पालन करने और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोई समझौता लागू किया जाएगा.

हम नगा समस्या, ईएनपीओ मसला जल्द सुलझाना चाहते हैं: नागालैंड में अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागालैंड के लोगों को आश्वासन दिया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दशकों पुरानी नगा शांति वार्ता का जल्द समाधान चाहती है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि अलग राज्य की मांग कर रहे ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के मुद्दों को सुलझाना अगली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की जिम्मेदारी होगी. शाह ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘चुनाव के बाद नागालैंड में एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी. हम राज्य की सभी समस्याओं का समाधान करेंगे.

म्यांमार से भी लगती है सीमा

एनडीपीपी-भाजपा 40-20 सीट के बंटवारे के ‘फॉर्मूले’ पर चुनाव लड़ रही है. आयोजकों ने दावा किया कि नागालैंड के पूर्वी छोर पर स्थित इस जिले में शाह का दौरा, किसी केंद्रीय गृह मंत्री का पहला दौरा है. इस जिले की सीमा म्यांमार से भी लगती है. नगा शांति वार्ता के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए शाह ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य शांति वार्ता को सफल बनाना और नगा राजनीतिक समस्या का शीघ्र समाधान करना है.’’ शाह ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप विश्वास करें कि नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री आपकी भावनाओं से अवगत हैं और आपके लिए पूरे सम्मान के साथ हम बातचीत को आगे बढ़ाएंगे.

दशकों पुरानी है समस्या

ईएनपीओ इस आधार पर एक अलग राज्य की मांग कर रहा है कि पूर्वी नागालैंड प्रशासनिक और राजनीतिक उपेक्षा के कारण विकास संकेतकों में राज्य के बाकी हिस्सों से पीछे है. दरअसल पूर्वी नागालैंड के अंतर्गत 6 जिले-मोन, तुएनसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोकलाक और शामाटर आते हैं. इन जिलों में सात जनजातियों-चांग, खियामनिंगन, कोन्याक, फोम, संगतम, तिखिर और यिमखिउंग के लोग रहते हैं.

दशकों पुरानी समस्या का समाधान खोजने के लिए, केंद्र सरकार 1997 से एनएससीएन-आईएम और 2017 से सात समूहों वाली नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप (एनएनपीजी) की कार्य समिति के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही है. मोदी नीत सरकार ने 2015 में एनएससीएन-आईएम के साथ एक प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किए और 2017 में एनएनपीजी के साथ सहमति बनी. हालांकि, एनएससीएन-आईएम नगा के लिए एक अलग ध्वज और संविधान की अपनी मांग पर कायम है जिससे अंतिम समाधान नहीं निकला है.

ईएनपीओ के अध्यक्ष त्सापिकीउ संगतम और कोन्याक यूनियन के अध्यक्ष टिंगथोक कोन्याक ने सोमवार को शाह के साथ मंच साझा किया. कोन्याक संघ मोन की कोन्याक जनजाति का सर्वोच्च संगठन है.

शाह ने माना- वैध हैं नागाओं के मुद्दे

शाह ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में पूरे पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने कहा कि नागालैंड में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्स्पा) वाले क्षेत्रों की संख्या भी घटी है. राज्य के सात जिलों के 15 थाना क्षेत्रों से इसे वापस ले लिया गया है. विकास की कमी का आरोप लगाते हुए राज्य के पूर्वी हिस्से के छह जिलों को मिलाकर एक अलग ‘फ्रंटियर नागालैंड’ को लेकर ईएनपीओ की मांगों पर उन्होंने कहा कि इसके द्वारा उठाए गए मुद्दे ‘वैध’ हैं.