आम आदमी का पार्टी का आज होने वाला धरना रद्द हो गया है, आप के पास नही बचे कार्यकर्ता !

सीएम केजरीवाल एक साथ कई मोर्चो पर लड़ रहे है. सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है. जिस कारण सरकार के कई मंत्री जेल पहुंच गए और अब आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए संगठन के स्तर से भी बुरी खबर आ रही है. सीएम केजरीवाल पर अपने निवास स्थान की साज सज्जा के लिए सरकारी 45 करोड़ रुपये खर्च करने का आरोप लगा है. जिसके बाद भाजपा ने सीएम आवास के बाहर कई प्रर्दशन किये है.  जिसके बाद आप मने भी प्रर्दशन का जवाब प्रर्दशन से देने का मन बनाया लेकिन अंतिम समय मे पार्टी ने अपना प्रस्तावित धरना खत्म कर दिया जिसके बाद राजनीतिक अटकलो का बाज़ार सियासी कयासो से भर गया और लोगो ने बात करनी शुरु कर दी की अब आप के पास कार्यकर्ता भी नही बचे है. क्या कुछ है खबर मे जानने के लिए बने रहीए हमारे साथ ………. आम आदमी पार्टी  और बीजेपी  में लगातार वार-पलटवार का दौर जारी है. इसी कड़ी में गुरुवार को बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले के सौंदर्यीकरण पर खर्चे गए 45 करोड़ रुपये के मामले को लेकर सीएम आवास के बाहर विशाल प्रदर्शन किया था. इस मामले के सामने आने के बाद से ही बीजेपी लगातार, आप पर हमलावर बनी हुई है. वहीं, बीजेपी के प्रदर्शन के जवाब में आप की तरफ से भी शुक्रवार को एक प्रदर्शन किया जाना था, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह प्रदर्शन रद्द कर दिया गया. आप के प्रदर्शन को रद्द किए जाने का दावा करते हुए बीजेपी के नेता प्रवीण शंकर कपूर ने एक वीडियो जारी किया. उन्होंने दावा करते हुए कहा, “अरविंद केजरीवाल मैदान से भागे, बीजेपी के आगे किया सरेंडर, बीजेपी के खिलाफ शुक्रवार को घोषित प्रदर्शन वापस लिया गया. आप सीएम के बंगले पर 45 करोड़ उड़ाने के बाद लगे आरोपों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है.प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि बीते कई दिनों से सीएम केजरीवाल देश के प्रधानमंत्री को लेकर अनर्गल बातें कह रहे हैं. शुक्रवार को आप का बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन था, उसे अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया. हमारे सूत्र बताते हैं कि इनके पास प्रदर्शन के लिए 400 कार्यकर्ता भी इकट्ठा नहीं हो पा रहे हैं. इस वजह से उन्होंने अपने प्रदर्शन को रद्द कर दिया है और बीजेपी के आगे सरेंडर कर दिया है. इनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी अब पूछ रहे हैं कि बंगले पर खर्च किए गए 45 करोड़ रुपये का हिसाब दिल्ली के मुख्यमंत्री क्यों नहीं देते हैं?