हज़ारों गायों की मौत , भारत में आया ये नया वायरस…

कोरोना और मंकीपॉक्स के बाद अब लंपी वायरस (Lumpy Skin Disease) आ गया है. यह देश के विभिन्न जिलों में फैलता जा रहा है. केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरूषोतम रूपाला( Parshottam Rupala) ने शानिवार को बताया कि लंपी (Lumpy) से सबसे ज्यादा राजस्थान प्रभावित है. प्रदेश के 11 जिले गंभीर रूप से प्रभावित है. चेतावनी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लंपी रोग से प्रभावित गायों का दूध नहीं पिएं. जिस भी गाय में लंपी के लक्षण दिखते उसे अलग रखिए. मवेशियों में फैल रहे लंपी डिजीज को रोकने के लिए केंद्र और राजस्थान की गहलोत सरकार मिलकर काम कर रही है. उम्मीद करते है कि इसे रोकने में जल्द ही सफल होंगे. गहलोत सरकार के प्रयास भी संतोषजनक है.

Also Read : Breaking News: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिलेंगे नए प्रदेश अध्यक्ष…

केंद्रीय मंत्री पुरूषोतम रूपाला ने शानिवार को जयपुर में राजस्थान सरकार के विभिन्न मंत्रियों और अधिकारियों के साथ लंपी रोग को रोकने के लिए बैठक की. मीटिंग के बाद रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा, ‘वायरस जनित बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरी क्षमता के लाथ कोशिश की जा रही है. जो पशु संक्रमित हो गए उन्हें अलग रखा जाना चाहिए है.’ स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराने को भी कहा. केंद्रीय मंत्री पुरूषोतम रूपाला ने जानकारी दी कि लंपी से बचने के लिए बाजार में ‘गोट पॉक्स टीका’ मिलता है जो पूरी तरह से कारगर है. जहां वायरस ज्यादा फैला हुआ है वहां तीन एमएल डोज का इस्तेमाल करिए. कम संक्रमित जगहों के पशुओं को एक एमएल को डोज लगाएं.

Also Read : ममता को डर ने पहुंचाया प्रधानमंत्री के पास…

राजस्थान सरकार क्या कर रही है?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के पशुओं में फैल रहे लंपी चर्म रोग की रोकथाम के लिए भामाशाहों, दानदाताओं, समाज सेवियों, जनप्रतिनिधियों, कार्मिकों और सभी वर्गों से आर्थिक सहयोग करन के अपील की है. आगे उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में सभी लोग खुद से सहायता के लिए आगे आएं. पैसे का इस्तेमाल पशुओं के इलाज, दवाओं, टीकाकरण, लंपी को रोकने और बीमार पशुओं को एक-जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस्तेमाल करा जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कहने पर जयपुर में एक बैंक अकाउंट भी खोला गया है. जो भी पैसा देना चाहता वो अकाउंट नंबर 41180075428 पर भेज सकते हैं.

Also Read : भाजपाई bikers लाल किले से संसद तक…