केजरीवाल का मोदी अडानी पर बड़ा बयान कहा की अड़ानी मोदी के दोस्त नही बस एक …… भाजपा का पलटवार कहा की केजरीवाल ……..

भारत की परंपरा मे एक कहावत बहुत मशहुर है कि खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे. आज के परिपेक्ष मे यह कहावत आज की समकालीन राजनीति मे दिल्ली के मुखिया और भारतीय राजनीति के कथित कट्टर ईमानदार नेता जिनकी कैबिनेट के दो मुख्य नेता तिहाड़ मे अलग अलग मामलो मे विचाराधीन कैदी के रुप मे सजा याफ़्ता है ओर कोर्ट की तरफ बड़ी उम्मीद भरी नजरो से देख रहे है, लेकिन फिलहाल कोर्ट से उन्हे कोई राहत मिलती नही दिख रही है. लेकिन इस सब ईमानदारी के खेल के बीच अरविंद केजरीवाल ने ऐसी टिप्पणी कर दी है जिसके बाद वो भाजपा के निशाने पर आ गए है. आखिर क्या कहा केजरीवाल ने और भाजपा की तरफ से किसने अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया बताते है आपको अपनी इस रिर्पोंट मे ….. भारतीय जनता पार्टी  ने मंगलवार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस दावे का पलटवार किया जिसमें आप नेता ने दावा कर कहा, अरबपति ‘गौतम अडानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर्फ एक फंड मैनेजर थे.’ बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, केजरीवाल हताशा में मोदी को निशाना बना रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार के “भ्रष्टाचार के पहियों” पर ब्रेक लगा दिए गए हैं. संबित पत्रा ने सीएम केजरीवाल पर कांग्रेस पार्टी को “कवर फायर” देने का आरोप लगाया. केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि अडानी फर्मों को गंभीर स्टॉक हेरफेर के आरोपों का सामना करने के बावजूद मोदी उद्योगपति को बचाए रखने में मदद कर रहे थे.केजरीवाल ने बीजेपी सांसदों की कड़ी आपत्तियों के बीच कहा, “हिंडनबर्ग रिपोर्ट और आलोचना के बाद भी पीएम मोदी अडानी को बचा रहे हैं. अडानी नरेंद्र मोदी के दोस्त नहीं थे बल्कि एक फंड मैनेजर थे. अडानी तो सिर्फ एक मोर्चा है सिर्फ प्रबंधक जो सारे पैसे का प्रबंधन करता है. पैसा वास्तव में अडानी का नहीं है, यह मोदी का है.वहीं, संबित पात्रा ने पलटवार करते हुए कहा, केजरीवाल का बयान का उनकी हताशा को दर्शाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भ्रष्ट मंत्री जेल के अंदर हैं और दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार के पहियों पर प्रधानमंत्री और इस देश के कानून ने ब्रेक लगा दिया है. केजरीवील राजनीतिक और नैतिक रुप से उस स्थिती मे नही है की जो दुसरी राजनीतिक पार्टी को ईमानदारी का पाठ पढा सके, इसलिए दिल्ली के मुखिया को अपना कुनबा दुरुस्त करना चाहिए फिर दुसरे को सलाह देनी चाहिए नही तो वो अब इसी तरह से राजनीतिक हमलों का शिकार होते रहेंगे.