क्यों हुए खामोश, नहीं दिखा रहे जोश; मुश्किल वक्त में AAP को आई किसकी याद

अरविन्द केजरीवाल जो इस देश की राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करने आए थे वह और उनकी पार्टी खुद ही चौतरफा हमले झेल रही है. जिसकी वजह से पार्टी को समझ ही नही आ रहा है की कर तो करे क्या बोले तो बोले क्या और इस बात की बैचेनी पार्टी के भीतर और बाहर कार्यकर्ताओं के व्यक्तितव मे साफ तौर पर देखा जा सकता है. राजनीतिक नैतिकता के आधार पर पार्टी का लगभग पतन हो चुका है. जिस वजह से पार्टी के बड़े आंदोलनो मे आम जन मानस का हुजूम भी नही जुट पा रहा है. जिस कारण पार्टी के शीर्ष नेतृत्व मे बैचेनी बढ़ गयी है क्योकी अगर पार्टी ने अपनी प्रासंगिकता को आंशिक स्तर पर ही खो देती है तो सत्ता मे वापसी तो छोड़ीए किसी राज्य मे एक आध सीट निकालना भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो जाएगी. आखिर आप के खामोशी के पीछे क्या है कारण बताते है आपको अपनी इस रिर्पोंट मे ………. करीब एक दशक पहले अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी (आप) ने हाल ही में जहां राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया है तो वहीं उसे इन दिनों कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है. कथित शराब घोटाले में पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया जेल चले गए हैं तो ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी सीबीआई के सामने पेश होना पड़ा है. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से जन्मी पार्टी पर करप्शन के आरोपों ने भाजपा को घेराबंदी का मौका दे दिया है. जवाब में ‘आप’ ने भी अपने कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतार दिया है. इस मुश्किल वक्त में पार्टी उन कार्यकर्ताओं को भी याद कर रही है जो शुरुआती दौर में उससे जुड़े थे लेकिन लंबे समय से खामोश और निष्क्रिय हैं. पार्टी उन वॉलेंटियर्स से संपर्क साध रही है. पार्टी के एक सूत्र ने कहा, ‘हम ऐसे वॉलेंटियर्स से संपर्क कर रहे हैं जो लंबे समय से पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे हैं. उनसे पूछा जाएगा कि आखिर किन वजहों से वह पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय नहीं हैं.’ नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों में पार्टी की ओर से आयोजित प्रदर्शन और आयोजनों में कार्यकर्ताओं की संख्या में गिरावट आ रही है. बताया जा रहा है कि इस प्लान को पार्टी नेतृत्व के साथ साझा किया गया है और जल्द ही इसे मिशन मोड में अंजाम दिया जाएगा.