महाराष्ट्र की सियासी हवा ने कर्नाटक का राजनीतिक मिजाज कैसे खराब कर दिया हैं ………….

बैंगलोर में विपक्षी दल ताल ठोक रहे हैं, लेकिन विपक्षी दलों की यह एकता जितनी ऊपर से मजबूत दिख रही हैं. अंदर से यह एकता उतनी ही खोखली दिख रही हैं. क्योंकी अगर हम उत्तर से दक्षिण तक नज़र डाले तो हमे समझ आएगा की बंगाल में तृणमूल और कांग्रेस आमने सामने हैं, तो दक्षिण में वाम और कांग्रेस आमने सामने हैं. कर्नाटक में चल रही राजनीतिक हलचल के बीच कांग्रेस और शिवसेना(उद्धव) गुट की सांसे चढ़ी हुई हैं. क्योंकी महाराष्ट्र में जो विपक्षी एकता का मॉडल तैयार हुआ था, उसको भाजपा की राजनीतिक रणनीति ने ऐसी सेंधमारी की पुरी एकता अनेकता में बदल गयी. पहले शिवसेना और अब एनसीपी की गुटबाजी ओर अब सीनियर और जूनीयर पवार की मैराथॉन मुलाकत ने महाराष्ट्र की तस्वीर बदल रही हैं. कांग्रेस और शिवसेना उद्धव खेमें को यह  मुलाकत बैचेन कर रही हैं. क्या हैं खबर बताते हैं आपको ……… एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने सोमवार को अजित पवार और उनके समर्थक 30 विधायकों से मीटिंग के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने साफ कहा कि भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. लेकिन अब भी कांग्रेस और शिवसेना असहज हैं. 4 दिन के अंदर ही अजित पवार की शरद पवार से तीन मुलाकातों ने महाविकास अघाड़ी के दोनों साथियों को पसोपेश में डाल रखा है. इन दोनों ही दलों को शरद पवार के रुख पर संदेह है. अजित पवार ने रविवार के बाद सोमवार को भी वाईबी चव्हाण सेंटर जाकर चाचा से मुलाकात की थी. इस दौरान 30 समर्थक विधायक भी थे. कांग्रेस और शिवसेना की चिंताओं की एक वजह यह भी है कि सोमवार से ही विपक्षी नेताओं का बेंगलुरु में जुटान शुरू हुआ था, लेकिन शरद पवार पहले दिन मुंबई में ही रुके रहे. विपक्षी मीटिंग में ना जाकर अजित पवार से मुलाकात के लिए रुकने को लेकर संदेह हो रहा है. यही नहीं शरद पवार गुट के विधायक भी विधानसभा में सोमवार को तब पहुंचे, जब विपक्ष का धरना प्रदर्शन समाप्त हो गया. इससे शरद पवार के रुख को लेकर संदेह पैदा हो रहा है. कांग्रेस की विधायक यशोमती ठाकुर ने कहा, ‘मेरी निजी राय है कि शरद पवार की भतीजे अजित पवार से मुलाकात को किसी ने भी पसंद नहीं किया होगा. कांग्रेस की विधायक ने कहा कि महाराष्ट्र को शरद पवार से उम्मीदें हैं और हमें भऱोसा है कि वह लोकतंत्र के समर्थन में खड़े होंगे. किसी अन्य नेता ने इस पर खुलकर नहीं कहा, लेकिन कुछ नेताओं ने यह जरूर कहा कि शरद पवार को अजित और उनके समर्थकों से मुलाकात से ही इनकार कर देना था. शिवसेना के संजय राउत ने भी इस मामले में शरद पवार को एक तरह से नसीहत दी. उन्होंने कहा कि यदि मैं शरद पवार की जगह पर होता तो अजित पवार को बाहर का रास्ता दिखा देता. बता दें कि अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल की करीब 45 मिनट तक शरद पवार से बात हुई.