सिंधिया जैसे नेताओं की कमी पूरी कर पाएंगे कन्हैया और जिग्नेश ?

September 28, 2021, New Delhi, India: Kanhaiya Kumar seen speaking during the event..Kanhaiya Kumar, Former JNU Jawaharlal Nehru University student s union President and CPI Communist Party of India leader, and Jignesh Mevani join Indian National Congress party at Congress party headquarters. Jignesh Mevani is an independent MLA Member of Legislative Assembly from Gujrat Vadgam constituency. Kanhaiya and Jignesh vocal against the Prime Minister, Narendra Modi central government. New Delhi India - ZUMAs197 20210928_zaa_s197_238 Copyright: xNaveenxSharmax

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी आज कांग्रेस का हाथ थामेंगे। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में दोनों को पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। कन्हैया और जिग्नेश के साथ उनके कुछ और साथी भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इन दोनों के ऊपर देशभर में युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी के पार्टी में आने से पहले कांग्रेस के कई धुरंधर नेताओं ने पार्टी का हाथ छोड़ दिया है। मौजूदा समय में भी कई ऐसे नेता हैं कांग्रेस पार्टी में जो नाराज चल रहे हैं, इन सबके बीच कन्हैया और जिग्नेश का पार्टी में आना कितने फायदेमंद होता है, ये देखना दिलचस्प होने वाला है। हालांकि माना यही जा रहा है कि कन्हैया और जिग्नेश की प्राथमिकता युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने और राहुल गांधी को मोदी के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करने की होगी।

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की चीफ रहीं सुष्मिता देव ने हाल ही में ‘हाथ’ छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया है। टीएमसी ने उनको राज्यसभा भी भेजा है। उससे पहले यूपी में प्रमुख ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी को अपना लिया था। अब यूपी की योगी सरकार में उनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राहुल गांधी के बेहद करीबी और दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे माधव राव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इतना ही नहीं, वह जब बीजेपी में आए थे तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने फिर से सरकार बनाया था। आज ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। इन युवा नेताओं के साथ छोड़ने से कांग्रेस में राहुल की टीम कमजोर हो गई है।

ऊपर कांग्रेस छोड़ने वाले जिन चेहरों की बात हमने की वे सभी युवा हैं और अपने क्षेत्रों में युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ भी है। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस में आने के बाद इन लोगों की कमी को पूरा करना होगा। हालांकि ये लोग उस कमी को कितना पूरा कर पाते हैं यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इनके कांग्रेस में शामिल होने से इतना संदेश जरूर जाएगा कि कांग्रेस में युवाओं को तवज्जो दी जा रही है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजकल अपनी नई टीम बनाने में जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी से बहुत प्रभावित हैं। कन्हैया कुमार पीएम मोदी के खिलाफ काफी मुखर भी रहे हैं। ऐसे में राहुल के रणनीतिकारों को लगता है कि कन्हैया और जिग्नेश के साथ से राहुल को मोदी विरोध की राजनीति में मजबूती मिलेगी। साथ ही इन नेताओं के जरिए युवाओं के बीच यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के तौर पर राहुल गांधी ही हैं जिनके पाय युवा सोच और युवा जोश है।

राहुल गांधी ने जब कांग्रेस का नेतृत्व संभालने की ओर कदम बढ़ाया था तो उस वक्त पार्टी के अंदर अलग-अलग राज्यों की नुमाइंदगी करने वाली युवा ब्रिगेड को टीम राहुल नाम दिया गया था। इस युवा बिग्रेड में जो भी चेहरे थे, उनमें से ज्यादातर से राहुल के बहुत दोस्ताना सम्बंध थे। इसी वजह से यह टीम एक पार्टी के अंदर काफी प्रभावी भी हो गई थी। अलग-अलग मौकों पर राहुल ने उन सबको आगे बढ़ने का मौका भी दिया। लेकिन अचानक उनकी टीम के ज्यादातर चेहरों ने अपने अलग रास्ते चुन लिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए और केंद्र में मंत्री बन गए। जितिन प्रसाद ने भी बीजेपी में भी ही अपना भविष्य देखा और कांग्रेस छोड़ दी। सुष्मिता देव ने भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। सचिन पायलट लगभग जा ही चुके थे लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह बाउंड्री पार नहीं कर पाए। ऐसे में यह जरूरी हो गया था कि राहुल गांधी का साथ देने के लिए युवा लोगों की एक नई टीम खड़ी की जाए।

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