भारत मे एक कहावत है की खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे और जब से गुजरात हाई कोर्ट ने देश के कट्टर ईमानदार नेता केजरीवाल पर जुर्माना लगाते हुए तल्ख टिप्पणी की है तब से केजरीवाल साहब राजनीतिक बौखलाहट के शिकार हो गए है. अब उन्हे समझ नही आ रहा है की अब करे तो करे क्या और बोले तो बोले क्यो इसलिए अब वह प्रेसवार्ता कर संविधान और अदालत पर निष्ठा दिखाने का ढ़ोग करने वाले केजरीवाल अब न्यायालय को ही कटघरे मे खड़ा करने लगे है. आज दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जब प्रेस वार्ता की तब उनकी बातो से राजनीतिक हताशा साफ झलक रही थी. क्या कुछ कहा केजरीवाल ने अपनी प्रेसवार्ता मे बताते है आपको …………. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री दिखाने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट का कल ऑर्डर आया कि देश के लोग प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी नहीं ले सकते. इससे पूरा देश स्तब्ध है क्योंकि हम जनतंत्र में रहते हैं. यहां प्रश्न पूछने और जानकारी मांगने की आजादी होनी चाहिए. किसी का कम पढ़ा लिखा होना कोई गुनाह नहीं है. किसी का अनपढ़ होना गुनाह नहीं है, कोई पाप नहीं है. हमारे देश में इतनी गरीबी है. अपने घर की परिस्थितियों की वजह से बहुत लोग ऐसे हैं, जो नहीं पढ़ पाते. आगे सीएम ने बताया कि उन्होंने पीएम के डिग्री की जानकारी क्यों मांगी? कुछ देर बाद ही भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया. उन्होंने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल जी पूरी तरह से विक्षिप्त हो गए हैं. पता नहीं क्या क्या-उल्टा सीधा बोलते जा रहे हैं… निम्नता पर आ रहे हैं और कोर्ट से फटकार भी खा रहे हैं. उन्होंने जिस तरह की भाषा, शैली और भाव भंगिमा का इस्तेमाल किया है वो निम्नतम स्तर की है. केजरीवाल जी को समझना होगा की देश मे भ्रामिकता की राजनीति को नही फैलाना चाहिए, राजनीति मे वैचारिक मतभेद हो सकते है, विचारधारा भी अलग हो सकती है लेकिन आज के प्रतिस्पर्धा वाली राजनीति के दौर मे केजरीवाल साहब को जनता के बीच जनता की बेहतरी का ब्लू प्रिंट लेकर जाना चाहिए ना की निम्न स्तर की राजनीति कर देश की संवैधानिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा और छवि को धुमिल करना चाहिए.