2024 के आम लोकसभा चुनाव मे आम आदमी पार्टी की रणनीति क्या होना चाहिए, इसको लेकर पार्टी के भीतर ही असमजस की स्थिती देखी जा रही है. आप ने अभी नीतीश कुमार से मुलाकत करने के बाद व्यापत विपक्षी एकता को लेकर सकारात्मक भी दिखे और आश्वसत भी, राजनीतिक महत्वकांक्षा के कारण उन्होने राजनीतिक सिद्धातों से भी किनारा करते दिखे. क्योकी जिस विपक्षी एकता को लेकर आप लालायित नजर आयी कांग्रेस उस विपक्षी एकता की सबसे बड़ी हिस्सेदार हो सकती है और हो सकता है की लोकसभा चुनाल के परिणाम के बाद राजनीतिक समीकरण यह भी हो सकता है की कांग्रेस की अगुआई मे वह सरकार या विपक्ष का हिस्सा भी बने. लेकिन सवाल यह है की जिस कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ के आप सत्ता मे आयी फिर उसी कांग्रेस के संभावित नेतृत्व मे गठबंधन का हिस्सा राजनीतिक मुल्यो के सिद्धांतो के आधार पर आप के लिए ठीक होगा. इन्ही सवालो की उधेड़-बून चली ही रही थी की कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओ ने पार्टी आलाकमान को अगाहा कर दिया की किसी भी सूरत मे आप के साथ ना जाए क्योंकी आप ने कांग्रेस की ही राजनीतिक जमीन पर जन समर्थन की अपनी फसल उगाई है. कांग्रेस के नेताओ के इस रुख के बाद आप के भी कई नेताओ का बयान सामने आया है लेकिन उन बयानो मे एक रुपता से अधिक अंसमजस की स्थिती दिखती है. क्या है ख़बर बताते है आपको नेताओ के बयानो के साथ इस रिर्पोंट मे …………… 2024 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) अकेले चुनाव लड़ेगी या फिर पीएम मोदी के खिलाफ संभावित महागठबंधन का हिस्सा बनेगी? इसको लेकर कंफ्यूजन कायम है. हाल ही में जहां नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद खुद पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गठबंधन में शामिल होने के संकेत दिए थे तो अब दो दिन में दो बड़े नेताओं के बयान ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. एक दिन पहले ही केजरीवाल के मंत्री और दिल्ली प्रदेश के संयोजक गोपाल राय ने कहा था कि अगले चुनाव में विपक्षी एकता बेहद जरूरी है. अब ‘आप’ के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा है कि उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. आप के दो बड़े नेताओ का बयान यह दिखाता है की पार्टी कितनी बड़ी असंमजस की स्थिती मे है और पार्टी ने आगामी चुनावो के लिए अपनी रणनीति साफ नही की तो ना वह घर के रहेंगे ना घाट के.