सीएम केजरीवाल ने लिया यू-टर्न विपक्षी एकता के नाम पर धुर-विरोधीयों से भी परहेज नही है !

देश की राजनीति ने कई यू-टर्न वाले नेताओं को देखा है. लेकिन आज की समकालीन राजनीति के हिसाब से देखे तो इस मामले मे एक बात तो कहने ही पड़ेगी की केजरीवाल जैसा कोई नही है. इस देश की राजनीति मे जितने यू-टर्न लिए है, शायद उतना किसी ने नही लिया है. जो केजरीवाल एक समय पर विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं को भ्रष्टाचारी कहने से नही चुकते थे आज वह उनके साथ गलबहीया करने से भी नही कतरा रहे है. जिस लालू परिवार को केजरीवाल पानी पानी पी कर कोसते थे और जिन्हे वह देश का महाभ्रष्टाचारी परिवार कहते थे, आज उसी परिवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके बगल मे खड़े हो कर विपक्षी एकता की शोभा बढ़ा रहे थे और सीएम केजरीवाल भी उनके साथ खड़े हो कर सहज दिख रहे थे. जब उद्देशय और निती पर राजनीतिक महत्वकांक्षा हावी हो जाती है. तब राजनीति मे इस तरह के दृश्य आम हो जाते और जनहित से अधिक राजनीतिक हित श्रेष्ठ हो जाते है. आंदोलन से निकली पार्टी का इस तरह राजनीतिक लोभ मे ओत-प्रोत हो जाने से पार्टी और संगठन का पतन का नजारा आम हो जाता है. सीएम केजरीवाल के आचरण से यह साफ दिखता है की वह राजनीतिक रुप से अधिक मजबूत हो सके लेकिन प्रधानमंत्री की मजबूत राजनीतिक छवि को तोड़ने का कोई पैतरा नही मिल पा रहा है, इसलिए केजरीवाल को विपरीत विचारधारा से भी गुरेज नही है. क्योंकी केजरीवाल यह मान चुके है की अकेले ही मोदी का मुकाबला नही कर सकते है. बाकी रिर्पोट क्या है बताते है आपको …. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की कोशिशें तेज हो गईं हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को दिल्ली में कई दलों के नेताओं से मुलाकात की और सभी को एक मंच पर लाने की बात कही। नीतीश कुमार ने देर शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। बाद में दोनों मीडिया के सामने भी आए और मोदी सरकार को हटाने के लिए एकजुटता की बात कही। केजरीवाल ने साफ संकेत दिया कि उन्हें विपक्षी गठबंधन का साथ मंजूर है। हालांकि, कुछ महीने पहले ही उन्होंने नीतीश की इन कोशिशों पर तंज कसते हुए पूछा था कि ठेका किसने दिया ? ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही ‘आप’ के मुखिया ने क्यों अपना रुख बदल लिया है?