त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय होने के आसार बढ़ रहे हैं.
नवगठित राजनीतिक दल टिपरा मोथा चुनाव बाद किंगमेकर की भूमिका में उभर सकती है. चुनाव में उसका मुकाबला भाजपा-आईपीएफटी और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन से होगा.
किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं: टिपरा मोथा
टिपरा मोथा का नेतृत्व पूर्व शाही घराने के वारिस प्रद्योत माणिक देववर्मा कर रहे हैं. पार्टी ने भाजपा या शत्रु से मित्र बने कांग्रेस और वाम मोर्चा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन से इन्कार कर दिया, लेकिन उसने चुनाव बाद किसी भी दल से गठबंधन का विकल्प खुला रखा है जो अलग राज्य के रूप में उसकी ग्रेटर टिपरालैंड की मांग का समर्थन करे.
गठबंधन में IPFT को पांच सीट
2021 में त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव में टिपरा मोथा ने 30 में से 18 सीटें हासिल की थी. अपनी इस जीत से उत्साहित पार्टी ने अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
60 सदस्यीय विधानसभा में उसे सरकार बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण 20 आदिवासी बहुल सीटों पर कब्जा करने की उम्मीद है. दूसरी ओर, भाजपा कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है. उसने 55 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है जबकि गठबंधन सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के लिए केवल पांच सीटें छोड़ी हैं.
IPFT के वोट बैंक में टिपरा मोथा की सेंधमारी
आईपीएफटी के जनाधार में टिपरा मोथा ने ग्रेटर टिपरालैंड राज्य की मांग उठाकर खासी सेंध लगाई है. 16 फरवरी को होने वाले चुनाव में भाजपा और आईपीएफटी के बीच अंपीनगर सीट पर दोस्ताना मुकाबले होगा. 2018 के विस चुनावों में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने वाम मोर्चे के 25 साल लंबे शासन को समाप्त कर दिया था. भाजपा ने 10 एसटी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों सहित 36 सीटों पर जीत हासिल की थी.
त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होंगे जिसके परिणाम 2 मार्च को घोषित होंगे. अभी वर्तमान भाजपा सरकार पुर्वोतर के अपने सियासी गढ़ को बचाने के लिए पूरा प्रयास कर रही हैं.