ठाकरे गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 22 फरवरी को शाम 3.30 बजे इस मामले पर सुनवाई करेंगे.
एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मानने के चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की याचिका को जल्द सूचीबद्ध करने के लिए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था.
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था और मंगलवार यानी कि 21 फरवरी को आने के लिए कहा था. ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि याचिका में उठाए गए बिंदुओं का उन मुद्दों पर सीधा असर पड़ता है जिन पर संविधान पीठ विचार कर रही है. याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराने और ‘चिह्न संबंधी’ कार्यवाही अलग-अलग मामले हैं और विधायकों की अयोग्यता राजनीतिक दल की सदस्यता समाप्त करने पर आधारित नहीं है.
इसमें यह भी कहा गया हैं कि निर्वाचन आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की है कि शिवसेना में विभाजन हुआ था. याचिका में कहा गया है, ‘राजनीतिक दल में विभाजन हुआ, इसको लेकर कोई दलील और सबूत नहीं होने के चलते, आयोग का निष्कर्ष पूरी तरह से गलत है.’ याचिका में कहा गया है कि ठाकरे गुट के पास प्रतिनिधि सभा में भारी बहुमत है, जो प्राथमिक सदस्यों और पार्टी के अन्य हितधारकों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था है.
याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने ‘पक्षपातपूर्ण और अनुचित तरीके’ से काम किया है. निर्वाचन आयोग ने बीते 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘धनुष एवं तीर’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था.