पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रविवार को 22 सेकेंड की एक वीडियो क्लिप जारी करते हुए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
बीजेपी नेता ने वीडियो जारी कर लगाया आरोप
भाजपा नेता बाबूलाल ने आरोप लगाया है कि प्रधान सचिव सत्ता के गलियारों में गहरी पैठ रखनेवाले एजेंट विशाल चौधरी के दफ्तर से महत्वपूर्ण विभागों की संवेदनशील फाइल तक निपटाते थे. वीडियो में कथित तौर पर विशाल चौधरी के दफ्तर में काम करने वाली एक महिला कर्मी प्रधान सचिव से फाइल साइन करवाती दिख रही है. बाबूलाल के अनुसार वीडियो में पैसे का भी जिक्र किया जा रहा है.
बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांफ्रेंस कर लगाए आरोप
बाबूलाल मरांडी ने रविवार को प्रेस कांफ्रेस में कहा कि यह वीडियो देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि झारखंड में सरकार कैसे चल रही है और कौन लोग चला रहे हैं? उन्होंने कहा कि ईडी के छापे के बाद चर्चा में आये विशाल चौधरी के अरगोड़ा चौक के निकट के कार्यालय का वीडियो है.
प्रदेश के मुख्य सचिव से कार्रवाई करने की मांग
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से मांग कि है कि प्रधान सचिव पर तुरंत एफआइआर दर्ज करा कर उन्हें जेल भिजवायें. उन्हें पद से हटायें, भ्रष्टाचार विरोधी कानून में इनपर कार्रवाई करें. साथ ही सीबीआई जांच की अनुशंसा भेजें. भाजपा प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से भी मिलकर सीबीआई जांच का अनुरोध करेगा और ईडी को भी इसकी जानकारी देगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किया आरोपों पर पलटवार
सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने बाबूलाल के वीडियो जारी करने तथा उनकी ओर से लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें पहले वीडियो क्लिप की प्रमाणिकता साबित करनी चाहिए.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने की प्रमाणिकता साबित करने की मांग
जिस स्थान का वीडियो क्लिप बताया जा रहा है उस स्थान की प्रमाणिकता भी साबित करनी चाहिए और उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यह वीडियो उन्हें कहां से प्राप्त हुआ? उन्होंने कहा है कि बाबूलाल ने पहले भी अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल पर निर्वाचित विधायकों के रघुवर सरकार के समय भाजपा में शामिल होने के लिए पैसे की सौदेबाजी से संबंधित पत्र जारी किया था. उस पत्र का क्या स्टेटस है और उसमें क्या हुआ? उस मामले को लेकर वह आगे कहां तक गए यह भी उन्हें राज्य की जनता को बताना चाहिए. क्या उन्होंने उस पत्र की फॉरेंसिक जांच कराई.