राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर बर्फ़बारी के बीच भाषण दिया. उन्होंने इस दौरान जम्मू-कश्मीर में पैदल यात्रा करने के अपने फैसले पर भी बात की.
उन्होंने कहा कि यहां यात्रा शुरू करने से पहले मुझे डर दिखाया गया. सुरक्षा को खतरा होने की बात कही गई थी. लेकिन यहां आकर पता चला कि असल में कश्मीरियत का अर्थ क्या है. राहुल गांधी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया बल्कि दिल खोलकर प्यार दिया.
मैं चार दिन यहां टीशर्ट पहनकर चला और चुनौती दी कि हिम्मत है तो इसके सफेद रंग को लाल कर दो. राहुल गांधी ने कहा कि मैंने फैसला लिया था कि मैं पैदल चलूंगा तो बहुत से लोगों ने मुझे डराया.
मैं हिंसा को समझता हूं – राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद ने कहा कि मैं यहां तैनात सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना के जवानों से कहना चाहता हूं कि मैं हिंसा को समझता हूं. इसे मैं समझता हूं. जिन लोगों ने इसे नहीं देखा है, वे इसे नहीं समझ पाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आरएसएस के लोग इसे नहीं समझ सकते.
हम यहां 4 दिन पैदल चले. मैं आपको गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता. ऐसा इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे बल्कि वे डरते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि मैं जब 14 साल का था और स्कूल में जियोग्राफी की क्लास में था.
तब मेरी एक टीचर पास आईं और कहा कि आपको प्रिंसिपल ने बुलाया है. मैं जब प्रिंसिपल के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि घर से कॉल है. मैंने जब बात की तो मां के साथ काम करने वाली एक महिला जोर से चिल्लाते हुए बोली- राहुल, दादी को गोली मार दी गई.
मैं और मेरी बहन हिंसा को समझते हैं
राहुल गांधी ने कहा कि ये बातें जो मैं कह रहा हूं वे पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को समझ नहीं आएंगे. लेकिन कश्मीर के लोग, सेना और सीआरपीएफ के लोग इसे समझ सकते हैं.
पुलवामा में शहीद सैनिकों के बच्चों के दिलों पर क्या गुजरी यह मैं जानता हूं. यहां कश्मीरी लोगों की हत्या जब होती है तो क्या होता है, यह मैं और मेरी बहन अच्छे से समझते हैं.
यात्रा नफ़रत खत्म करने की छोटी सी कोशिश
यदि हम मोहब्बत से खड़े होंगे और प्यार से बात रखेंगे तो हमें सफलता मिलेगी. हम उनकी विचारधारा को न सिर्फ हराएंगे बल्कि उनके दिलों से भी निकाल देंगे.
हमारी कोशिश है कि भाजपा ने जीने का एक राजनीतिक तरीका दिखाया है. हमारी कोशिश है कि हम एक और तरीका दिखाएं, जो मोहब्बत का तरीका है और हिंदुस्तान का है.
हमने एक छोटा सा कदम उठाया है और हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने की कोशिश कर रहे हैं.