आइये समझते है द्रौपदी को राष्ट्रपति बनाने के पीछे का राजनितिक खेल !

आज़ाद भारत में द्रौपदी देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन चुकी है , उन्हें बधाई देने वालो की होड़ लगी हुई है ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने भी उन्हें संयुक्त रूप से बधाई दी है ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , यशवंत सिन्हा, नविन पटनायक ममता बनर्जी , हेमंत सोरेन , पुष्कर सिंह धामी सहित कईं राजनितिक दिग्गज उन्हें बधाई दे चुके है। मुर्मू की जित तो उसी दिन तय हो गयी थी जिस दिन उन्हें प्रत्यासी चुना गया था। राजग के पास अपने डैम पर इतने मत थे की द्रौपदी का राष्ट्रपति चुनना लगभग तय था। लेकिन द्रौपदी को देश के सर्वोच्च पद पर बैठकर भाजपा ने जो दांव खेला वो काफी ही ज्यादा अहम् था।

द्रौपदी मुर्मू आदिवासी है , और जमीन से जुडी है ,उनका लम्बा राजनितिक अनुभव एकदम बेदाग़ है ,द्रौपदी आज़ादी के बाद देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति है , जिनके राष्ट्रपति बनने का जश्न देश के 100 से ज्यादा आदिवासी बाहुल्य जिलों और लगभग डेढ़ लाख गाँव में मनाई गयी , यानी की भाजपा ने आदिवासियों के बिच अपनी पथ को और मजबूत कर लिया है।
भाजपा ने इस दांव के जरिये जनता को कईं सारे मैसेज दिए है जिसमे भाजपा दरसाना चाहती है की वो आदिवासी की बड़ी हितैषी पार्टी है , और प्रधानमंत्री वंचित तबके के लिए काम करते है ,मुख्यधारा से कटे समाज को हिस्सेदारी देती है भाजपा , आदिवासी सिर्फ भाजपा पर ही भरोसा करे ,और चुनाव में भाजपा को समर्थन करे आदिवासी। एक आदिवासी महिला को देश की राष्ट्रपति बनाना यानी की देश के सर्वोच्च पद पर बैठना महिलाओं को भी आकर्षित करेगा। द्रौपदी मुर्मू के गृहराज्य ओड़िसा इससे लगे झारखण्ड और नार्थ ईस्टर्न स्टेट में आदिवासी लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। भाजपा अब इनके बीच अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। 2019 लोकसभा में ओडिसा में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था. अब भाजपा उसे विधानसभा में भी दोहराना चाह रही है।

सिर्फ ओडिशा ही नहीं भारत में ऐसे 495 विधानसभा है जहाँ आदिवासियों के लिए सीट रिजर्व् है इसी तरह लोकसभा की 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। राज्यों की बात करें तो गुजरात की 27, राजस्थान की 25, महाराष्ट्र की भी 25, मध्यप्रदेश में 47, छत्तीसगढ़ में 29, झारखंड में 28 और ओडिशा की 33 सीटों पर आदिवासी समाज के वोटर्स हार जीत का फैसला करते हैं। इस वक्त गुजरात की आदिवासी बहुल 27 में से सिर्फ 9 सीट बीजेपी के पास हैं।गुजरात में इसी साल चुनाव होने हैं इसी तरह राजस्थान में 25 में से 8, छत्तीसगढ़ में 29 में से सिर्फ 2 और मध्यप्रदेश में शेड्यूल ट्राइब्स के लिए रिजर्व 47 सीटों में से सिर्फ 16 सीट बीजेपी के पास हैं यानी पिछले चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में बीजेपी का प्रदर्शन उसकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। अब बीजेपी को उम्मीद है कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने से ST समुदाय के लोगों में पार्टी को लेकर सही मैसेज जाएगा और चुनावों में इसका फायदा मिलेगा। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर की रहने वाली हैं इसीलिए आज वहां के MLA ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू की जीत महिलाओं की, आदिवासियों की जीत है।