शीर्ष भाजपा नेताओं का मानना है कि दूसरे दल से आने वाले हिमंत बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रामकृपाल यादव और ब्रजेश पाठक जैसे गिने-चुने नेता ही ऐसे हैं जिनसे पार्टी को फायदा मिलता है. वहीं, बाहर से आने वाले सभी नेताओं को टिकट देने से पार्टी कैडर हताश होता है. पिछले महीने दिल्ली में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी यह मुद्दा उठा था.
परिस्थिती के हिसाब से होंगे फैसले
सूत्रों के मुताबिक राज्यों का प्रभार देख रहे पदाधिकारियों का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले दूसरे दलों से नेताओं को भाजपा में शामिल तो करें लेकिन उन्हें टिकट का आश्वासन न दें. यह नियम उन्हीं राज्यों में पूरी तरह लागू होगा जहां भाजपा मजबूत है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, प. बंगाल, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में स्थानीय परिस्थिति के मुताबिक फैसला होगा.
सूत्रों के मुताबिक यह स्पष्ट कर दिया गया है कि चुनावी राज्यों में एक साल में अन्य दलों के जो नेता भाजपा में शामिल हुए हैं या जो शामिल होंगे उन्हें संबंधित मंडल और जिला अध्यक्ष के पास वैसे ही टिकट की दावेदारी करनी होगी जैसे पुराना कार्यकर्ता करता है. मंडल और जिला से नाम शॉर्ट लिस्ट होने के बाद राज्य ईकाई संभावित प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजेगी.
सांसद रहेंगे चुनाव क्षेत्र में, मोबाइल से ट्रैकिंग
भाजपा ने अपने सभी सांसदों को होली के बाद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रहने को कहा है. सांसदों को रोज क्षेत्र के लोगों के संपर्क में रहना होगा. प्रधानमंत्री सहित सभी केंद्रीय मंत्री भी महीने में दो दिन अपने लोकसभा क्षेत्र में प्रवास करेंगे.
भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया, लोकसभा चुनाव में 400 दिन से कम बचे हैं. ऐसे में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क जरूरी है. रीयल टाइम मॉनिटरिंग के लिए सांसदों को मोबाइल लोकेशन ऑन रखना होगा. केंद्रीय मॉनिटरिंग सेल उनकी ट्रैकिंग भी करेगी. सांसद दिल्ली तभी आएंगे जब संसद सत्र या संसदीय समिति की बैठक हो.