जापान सरकार ने ऐलान किया है कि भारत में आज से हो रहे जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी हिस्सा नहीं लेंगे. हयाशी की जगह पर विदेश राज्य मंत्री केंजी यमादा नई दिल्ली जा रहे हैं.
इससे पहले जापान के नेताओं और भारत के अधिकारियों ने जापानी विदेश मंत्री की इस योजना पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद भी जापानी विदेश मंत्री ने अपने दोस्तों और देशों के लोगों की मांग को दरकिनार कर दिया. विश्लेषकों का कहना है कि इसका दोनों देशों के बीच रिश्तों में बुरा असर पड़ सकता है. वह भी तब जब चीन के नए विदेश मंत्री अपने पहले भारत दौरे पर आ रहे हैं.
जापान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जी-20 देशों के विदेश मंत्री अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों, खाद्यान और ऊर्जा सुरक्षा तथा रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा कर सकते हैं. जापानी मीडिया के मुताबिक विदेश मंत्री हयाशी भारत आने की बजाय संसद के सत्र में हिस्सा लेंगे. यही नहीं जापानी विदेश मंत्री के इस फैसले से क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक खटाई में पड़ सकती है. जापान ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब वह खुद मई महीने में जी-7 देशों की बैठक आयोजित करने जा रहा है.
‘भारत इस फैसले से बहुत नाराज होगा’
जापान की योजना है कि वह जी-7 देशों की बैठक में भारत को भी आमंत्रित करे. अमेरिका के हडसन इंस्टीट्यूट में जापानी मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर सतोरू नगाओ ने जापानी विदेश मंत्री के भारत नहीं जाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है. सतोरू ने कहा, ‘अगर जापानी विदेश मंत्री जी-20 देशों की बैठक में नहीं शामिल होते हैं तो भारत इस फैसले से बहुत नाराज होगा.
इसकी वजह यह है कि भारत जी-20 बैठक को लेकर अपने प्रयासों पर पूरा फोकस किए हुए है. यह भारत के साथ जापान के रिश्तों को बाद में प्रभावित करेगा. विदेश मंत्री हयाशी को निश्चित रूप से जाना चाहिए.’
इससे पहले जापान के सांसदों ने भी जापानी विदेश मंत्री के इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि जापान जी-7 देशों की बैठक से एक बड़ा मौका खो देगा. इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ अपनी दोस्ती को निभाते हुए उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे.
ऐसे समय पर जब चीन भारत और जापान दोनों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है, जापानी विदेश मंत्री के फैसले को बहुत हैरानी से देखा जा रहा है. चीन ने से निपटने के लिए हाल ही में भारत ने जापान के साथ पहला सैन्य अभ्यास किया था. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अधिकारियों ने साफ कह दिया था कि अगर जापानी विदेश मंत्री नहीं आते हैं तो इसका रिश्तों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा.