राज्य में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी 57 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के 47 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि वीपीपी और एचएसडीपी ने क्रमश: 18 और 11 प्रत्याशी उतारे हैं.
सभी दल अपने स्तर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
खारकोंगोर ने नामांकन वापस लेने की अवधि पूरी होने के बाद बताया, ‘‘आज नाम वापस लेने की अवधि समाप्त होने के बाद 375 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं. उन्होंने बताया कि नामांकन की जांच के दौरान चार प्रत्याशियों के नामांकन को रद्द कर दिया गया जिनमें एनपीपी के तीन और यूडीपी के दो उम्मीदवार शामिल हैं. उन्होंने बताया कि चुनाव मैदान में बचे 375 उम्मीदवारों में 339 पुरुष और 36 महिलाएं शामिल हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को नहीं मिला था स्पष्ट बहुमत
मेघालय के पिछले विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई. वहीं कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी, प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी. चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने.
कांग्रेस के लिए वर्चस्व की लड़ाई
कांग्रेस की बात करें तो इस बार मेघालय का चुनाव पार्टी के लिए और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन चुका है. इसका बड़ा कारण ये है कि पार्टी के कई विधायक दूसरे दलों में जा चुके हैं. वर्तमान में कांग्रेस के पास यहाँ दो विधायक बचे हैं, जिनका भी पार्टी में बचे रहना मुश्किल लग रहा हैं. इस बार पूर्वोतर के इस राज्य में शुरू से ही कांग्रेस के लिए मामला चुनौतीपूर्ण होने वाला हैं. क्यूंकि आईएम तृणमूल कांग्रेस भी अपनी ताल इस पुर्वोतर के राज्य में ठोक रही हैं.