RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, जब तक चीन पर निर्भरता रहेगी हमें झुकना पड़ेगा

Mohan Bhagwat, chief of the Indian Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) speaks during a party rally in Jammu on September 29, 2013. The Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) is a right wing Hindu nationalist group volunteer organisation. AFP PHOTO/ STR (Photo credit should read STRDEL/AFP via Getty Images)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 15 अगस्त के मौके पर आर्थिक स्वतंत्रता की बात कही है और चीन पर भारत की निर्भरता कम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “हम इंटरनेट का और तकनीक का उपयोग करते हैं। जो मूल रूप से भारत से नहीं आती। हम कितना भी चीन के बारे में चिल्लाएं, लेकिन आपके फोन में जो भी चीजें हैं वह चीन से ही आती हैं। जब तक चीन पर निर्भरता रहेगी तब तक चीन के सामने झुकना पड़ेगा।” भागवत मुंबई के IES राजा स्कूल में ध्वजारोहण करने आए थे। इस दौरान उन्होंने यह बात कही

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि सिकन्दर के आक्रमण से पहले भी देश पर आक्रमणकारियों का तांता लगा रहता था। हमने इसे 15 अगस्त को पूरी तरह रोक दिया। किसी भी विदेशी आक्रमणकारी का पैर हमारी जमीन पर पड़ता तो संघर्ष शुरू हो जाता था। ऐसी लड़ाइयां लड़ने वाले महापुरुष प्रेरणा देते हैं। आज उनको याद करना चाहिए। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश विदेशियों के हाथ से मुक्त हुआ और हम अपना जीवन चलाने के लिए स्वतंत्र हो गए।

राष्ट्रध्वज में भगवा त्याग, पवित्रता की प्रेरणा देता है.

मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रध्वज की तरफ देखेंगे तो पता चलेगा कि योग्य बने रहना जरूरी है। राष्ट्रध्वज में भगवा त्याग, पवित्रता की प्रेरणा देता है। हमारा लक्ष्य ऐसे समाज बनाना है जो हमें ज्ञान की तरफ ले चले। उसके लिए भारत को स्वतंत्र करना होगा, ये हम करेंगे। सफेद रंग सत्यता, शुद्धता और शीलयुक्त का प्रतीक है।

पीएम मोदी ने लाल किले पर फहराया तिरंगा

15 अगस्त के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वाधीनता दिवस के मौके पर लाल किले पर तिरंग फहराया और लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि कोई बाधा 21वीं सदी के भारत के सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती। उन्होंने चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा “आज दुनिया भारत को एक नई दृष्टि से देख रही है और इस दृष्टि के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। एक आतंकवाद और दूसरा विस्तारवाद। भारत