RAHUL GANDHI PARLIAMENT : राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कराने मे क्या कांग्रेस का हाथ है, आखिर क्यो कांग्रेस मे असंमजस की स्थिती है …….. !

राहुल गांधी की जब से सांसदी गई है तब से कांग्रेस मे खलबली मची हुई है. सभी दरबारी सिहंसान को समझाने मे लगे है की सब ठीक हो जाएगा. लेकिन आलाकमान पुछ रहा है की ठीक क्यों नही हो रहा है ? और सभा से जवाब नदारद है और सभा को सुशोभीत करने वाले दरबारीयों ने खामोशी का आवरण ओढ़ लिया है. क्योंकी जवाब तो है ही नही किसी के पास और कोई बोलने की हिम्मत करे भी तो कैसे करे की इस असंमजस मे की अगर जवाब हाईकमान को पसंद नही आया तो उनकी सदस्यता ना चली जाए और सबकी किस्मत सिब्बल साहब की तरह मजुबत हो नही सकती है की यहा से निकले और वहा से राज्यसभा सांसद बन जाए. राहुल के मसले पर पुरी कांग्रेस कन्फंयूज दिख रही है. जिसका फायदा उठा कर भाजपा हमलावर है और कांग्रेस असंमजस की स्थिती मे की क्या करे और क्या ना करे और स्वामी भक्त इस जुगाड़ मे लगे है की कैसे स्वामी की सदस्यता वापस दिला कर पार्टी मे और उच्च पद पर पहुंचा जाए. आखिर किस मुद्दे पर कांग्रेस है कन्फयुज और भाजपा के किस नेता ने किया राहुल पर हमला बताते है आपको इस रिर्पोंट मे …………….. मानहानि मामले में राहुल गांधी को सजा और फिर संसद से सदस्यता खोने को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी पर ही साजिश की बात कह दी है. उन्होंने कहा कि पार्टी से जुड़े इतने दिग्गज वकील होने के बावजूद कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. अनुराग ठाकुर ने कहा कि क्या कांग्रेस पार्टी के अंदर ही राहुल गांधी के खिलाफ कोई साजिश चल रही है? अनुराग ठाकुर ‘टाइम्स नेटवर्क इंडिया डिजिटल फेस्ट’ में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ऐसे व्यक्ति हैं जो कि अपनी गलतियों से सीख नहीं लेते हैं और लगातार गलती करते जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बावजूद उनके खिलाफ देश की कई अदालतों में मानहानि के केस चल रहे हैं. वही दूसरी और मानहानि मामले में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में “जल्दबाजी” में अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है. इस दौरान सांसद मनीष तिवारी ने पार्टी नेतृत्व को सुझाव दिया था कि स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना चाहिए. उनके सुझाव पर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें नोटिस का मसौदा तैयार करने को कहा था.मनीष तिवारी ने मंगलवार को यह मसौदा पार्टी नेतृत्व को दे दिया है. लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अभी तक इसे आगे बढ़ाने का ऐलान नहीं किया है, क्योंकि नेतृत्व निश्चित नहीं है कि अन्य विपक्षी दल साथ आएंगे या नहीं. सूत्रों के मुताबिक कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने इस तरह के कदम को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई है, और कांग्रेस पार्टी अब ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे विपक्षी गठबंधन में किसी तरह की दरार आए. एक बात तो समझने वाली है कि जिस कांग्रेस मे देश के जाने माने वकील है वो पार्टी अपने सबसे वरिष्ठ युवा नेता की सांसदी नही बचा पायी जो पवन खेड़ा के मसले पर तुरंत सुप्रीम जमानत ले आए थे, क्या कांग्रेस मे फिर से सिंडीकेट पैदा हो रहा है जिसने राहुल के साथ प्रयोग कर दिया है.