आज भारत को अपना 15 व राष्ट्रपति मिलने जा रहा है। आज जो भी उम्मीदवार जीतकर आता है वो राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से उनका पदभार ग्रहण करेगा या सीधा लफ्जों में कहा जाए तो वो रामनाथ कोविंद की जगह लेलेगा। रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो जाएगा। इस बाबाबत 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति इस सर्वोच्च पद की सपथ ग्रहण करेंगे। लोगों के मन में राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक और सर्वोच्च पद पर बैठने वाले को लेकर मन में कईं तरीके के सवाल उत्पन्न होंगे , जैसे की अगर कोई राष्ट्रपति है तो उसका कार्य संलिप्तता क्या रहती है या उसको क्या क्या शक्तियां प्रदान की जाती है ? आपके इन्ही सारे सवालों के जवाब को विस्तारीकरण के साथ आज हम आपके सामने पेश करेंगे।
अब सबसे पहला सवाल ये की राष्ट्रपति का शपथ आखिर 25 जुलाई को ही क्यों ?
संविधान में राष्ट्रपति पद का शपथ कब होगा इसको लेकर कोई ख़ासा जिक्र नहीं है। इस 25 जुलाई के किस्से को समझने के लिए आपको जाना होगा साल 1977 में , दरअसल इस साल एक प्रत्यासी निर्विरोध राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए थे। उन्होंने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उसके बाद से ही ये सिलसिला चला आरहा है की सभी राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही शपथ लेते है।
आखिर राष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है ?
भारत के राष्ट्रपति को देश की चीफ जस्टिस शपथ दिलाते है ,उनकी अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जस्टिस शपथ दिला सकते है। हालाँकि इस बात का उल्लेख संविधान में बखूबी किया गया है। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है , वही उनकी नियुक्ति निर्वाचक मंडल के द्वारा की जाती है।
राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर क्या होगा ?
ये भी सवाल कईं लोगों के मन में आता होगा के अगर राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है तो ये पदभार कौन संभालेगा। दरअसल इसका जवाब है के राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति की जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति के हाथों चली जाती है ,उन्हें इसके लिए राष्ट्रपति पद की सपथ लेनी पड़ती है। अगर किसी कारण वर्ष ये पद भी खाली हो तो ये जिम्मेदारी देश के चीफ जस्टिस के हाथों चली जाती है। और इत्तेफाकन अगर ये पद भी रिक्त हो तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज ये जिम्मेदारी सँभालते है।
अगर राष्ट्रपति इस्तीफा दे रहे है तो वो किसको देंगे ?
ये सवाल भी कईं लोगों के मन में जरूर खटक रहा होगा की आखिर राष्ट्रपति अगर अपना इस्तीफा देंगे तो वो किसको देंगे तो इसका जवाब है की वो अपना इस्तीफा उपराष्ट्रपति को सौंपेंगे। इस समय उपराष्ट्रपति की भूमिका काफी अहम् हो जाती है। बता दे के राष्ट्रपति पद 6 महीने से ज्यादा खाली नहीं रह सकता।
चलिए अब बात करते है राष्ट्रपति के अधिकारों के बारे में
देश के राजनैतिक संस्थानों के काम की निगरानी करना ताकि राज्य के उद्देस्य को हसील कर सकेमिलजुल कर काम कर सके। वही अगर हम संविधान को पढ़ेंगे टी तो ऐसा लगेगा की राष्ट्रपति के लिए ऐसा कोई काम नहीं है जो वो नहीं कर सकता, अनुच्छेद 53 के तह संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। राष्ट्रीपति इसका इस्तेमाल संविधान के अनुकूल या अपने अधीन अधिकारियोंके माध्यम से करेंगे। एक राष्ट्रपति देश के भारत के रक्षा बालों का सुप्रीम कमांडर होता है। राज्य के हाई कोर्ट के जजों राज्यपालों चुनाव आयुक्तों और दूसरे देश के राजदूतों का भी चुनाव भी राष्ट्रपति ही करते है। अगर किसी अपराधी को मृत्युदंड का फैला मिला हो तो उस पर भी राष्ट्रपति को फैसला लेने का अधिकार है। अनुच्छेद 352 के तहत एक राष्ट्रपति इत्तेफाकन स्थति में इमरजेंसी का भी एलान कर सकते है।
राष्ट्रपति को कितनी सैलरी मिलती है?
भारत के राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति माह है। इसके अलावा अन्य भत्ते दिये जाते हैं। 2017 से पहले राष्ट्रपति की सैलरी केवल 1.5 लाख रुपए प्रति माह थी। उस समय टॉप ब्यूरोक्रेट्स और कैबिनेट मंत्रियों की सैलरी इससे अधिक थी। राष्ट्रपति को फ्री मेडिकल सुविधा, घर, बिजली, टेलीफोन बिल सहित अन्य भत्ते भी मिलते हैं। राष्ट्रपति को कहीं आने-जाने के लिए विशेष तौर पर बनी मर्सिडीज बेंज एस600 पुलमैन गार्ड गाड़ी मिलती है। राष्ट्रपति के फ्लीट में 25 वाहन होते हैं। राष्ट्रपति के पास स्पेशल बॉडीगार्ड होते हैं। इन्हें प्रेसीडेन्शियल बॉडीगार्ड कहा जाता है। इनकी संख्या 86 होती है।