कांग्रेस का हाल उस व्यक्ति की तरह हो गया है जो घर का भी नही रहा ना घाट का. कांग्रेस किसी भी तरह 2024 के लिए विपक्ष की धुरी बनना चाहती है. लेकिन कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है की पार्टी ने मुद्दे उठाने का काम एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया है. जिसके पास योग्यता के नाम पर यह विशेषता है की वह कांग्रेस के प्रथम परिवार के यूवराज है और दुसरा की वह एक नैपो बेबी की तरह भारतीय राजनीति मे आए जिसके भाषण मे एक अधिर, व्यक्तित्व मे व्याकुलता और राजनीतिक सोच मे कथित रुप से अपरिपक्वता दिखती है. जिसका फायदा भाजपा उठाती रही है चुनाव मे और भाजपा चाहती भी यही है की कांग्रेस बार बार राहुल गांधी को लांच करे और राहुल गांधी बनाम नरेन्द्र मोदी ही हो जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता रहे. जब कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रुप ने मल्लिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी हुई और उसके बाद कांग्रेस की जो रणनीति दिखी उससे साफ हो गया की सड़क पर कांग्रेस को मजबूती राहुल गांधी देंगे और संगठन स्तर पर मजबूती खड़गे देंगे. लेकिन राहुल गांधी जिस तरह के मुद्दे समकालीन राजनीति मे उठा रहे है, उससे विपक्ष किनारा करते दिख रही है और विपक्ष के दिग्गज नेता उसकी पोल खोलते नज़र आ रहे है.क्या है खबर बताते है आपको ………… जेपीसी अभी हॉट की वर्ड है. राहुल गांधी ने इसे मानो देश की सबसे ताकतवर जांच एजेंसी मान लिया हो. वही जेपीसी जो राहुल की पार्टी की सरकार में बार-बार बनी और कई बार तब विपक्ष में रही बेजीपे ने इसे आंख में धूल झोंकने जैसा बताया. कांग्रेसी सरकारों ने जेपीसी को प्रेशर कुकर बनाकर रख दिया. जब भी भ्रष्टाचार या बड़े मुद्दे पर फंसो उसका दबाव जेपीसी की सीटी बजाकर खत्म कर दो. उसी जेपीसी पर राहुल की पार्टी अड़ गई है. इसी जेपीसी पर शरद पवार अभी चर्चा में हैं. उन्होंने राहुल गांधी के मोदी-अडानी अभियान को पंक्चर कर दिया है. पवार ने टाटा-बिरला का नाम लिया. देश के लिए उनके योगदान को याद किया. ये नादानी भी बताई कि कैसे पहले सरकार का विरोध करने के लिए टाटा-बिरला का इस्तेमाल होता था. राहुल की अगुआई में कांग्रेस सड़क के बदले संसद में आंदोलनरत नजर आई. बजट सत्र का दूसरा हिस्सा चलने ही नहीं दिया. काले लिबास में कांग्रेसी अपने नेता राहुल की डिमांड दोहराते नजर आए. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी पर जेपीसी की जांच हो. जेपीसी मतलब जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी. राहुल गांधी को समझना होगा की अगर उनहे विपक्षी एकता का चेहरा बनना है तो उन्हे देश से जुड़े व्यवाहारिक मुद्दे उठाने होंगे जिससे जनता और विपक्ष उनसे जुड़ पाए.