Tripura Election 2023: कांग्रेस-वाम दलों के बीच कैसे कम हुई दुरी…..! क्या भाजपा का विजय रथ रोक पायेगा गठबंधन …….!

पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में चुनाव को लेकर सियासी गर्मी बढ़ गई है.सभी पार्टियां जोर-शोर से प्रचार में जुटी हुई हैं. इस चुनाव में पहली बार लेफ्ट और कांग्रेस एक साथ नजर आ रहे हैं.

त्रिपुरा में कई सालों तक राज्य पर राज करने वाला लेफ्ट फिर से सत्ता में वापसी का रास्ता ढूंढ रहा है जबकि कांग्रेस भी अपनी मौजूदगी त्रिपुरा में दर्ज करना चाहती है. ऐसे में बीजेपी  के सामने सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती भी है. हालांकि, पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा किया है.

इस सभी दलों के साथ-साथ टीएमसी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में है और खेला होने की उम्मीद कर रही है. हालांकि इस बार चुनाव में कुछ ऐसा देखना को मिला है जो पहले कभी नहीं देखा गया. त्रिपुरा में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत के साथ सरकार बनाई थी.

राज्य में अरसे तक लेफ्ट का शासन रहा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस रही थी. उस दौरान कांग्रेस और लेफ्ट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला था, लेकिन इस बार ये दोनों दल साथ में आ गए हैं.

बीजेपी के कारण कांग्रेस-लेफ्ट के दिल मिले?

शायद ये त्रिपुरा में चुनावी समीकरण में हुए बदलाव के कारण संभव हुआ है. बीजेपी को इस बार भी मजबूत माना जा रहा है और यही बड़ा कारण है जिसने कांग्रेस और माकपा के बीच की दूरी को कम किया है.

माकपा त्रिपुरा की 43 सीट पर, कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ेगी जबकि गठबंधन के अन्य घटक- फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और भाकपा- एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे. गठबंधन पश्चिम त्रिपुरा में रामनगर निर्वाचन क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन भी कर रहा है.

पीएम मोदी ने गठबंधन पर निशाना साधा

पीएम मोदी ने त्रिपुरा चुनाव में हुए इस गठबंधन पर निशाना भी साधा है. पीएम मोदी ने त्रिपुरा में कांग्रेस-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी गठबंधन पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि दोनों दल केरल में कुश्ती लड़ते हैं और त्रिपुरा में दोस्ती करते हैं.

पीएम मोदी ने मोदी ने क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए दावा किया कि कई अन्य दल भी परोक्ष रूप से विपक्षी गठबंधन की मदद कर रहे हैं, लेकिन उन्हें दिया गया हर वोट त्रिपुरा को कई साल पीछे ले जाएगा.

हमें इस बार पिछली बार से अधिक वोट मिलेंगे- येचुरी

वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि छोटे किंतु राजनीतिक रूप से अहम त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाले त्रिकोणीय मुकाबले से वाम-कांग्रेस गठबंधन को मदद मिलेगी.

पिछले चुनावों में माकपा को मिले 42.22 प्रतिशत और कांग्रेस के दो प्रतिशत मतों की तुलना में बीजेपी को 43.59 प्रतिशत वोट मिले थे. येचुरी ने कहा कि हमें पिछली बार से इस बार अधिक मिलेगा.

टिपरा मोथा बिगाड़ेगी समीकरण?

इन सबके बीच शाही परिवार से आने वाले प्रद्योत किशोर माणिक्य देब बर्मा अपनी टिपरा मोथा पार्टी के साथ सभी बड़े दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन और टीएमसी देब बर्मा को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि देब बर्मा अकेले ही हुंकार भरे रहे हैं.

दो मार्च को होगी मतगणना

माकपा येचुरी ने शुक्रवार को कहा था कि हालांकि टिपरा मोथा के साथ कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है, लेकिन आदिवासी पार्टी के साथ स्थानीय स्तर पर कुछ समझ कायम हो सकती है, जो त्रिपुरा के मौजूदा चुनावों में तीसरे ध्रुव के रूप में उभरी है.

इनके अलावा पश्चिम बंगाल में बीजेपी को हरा सत्ता में बरकरार रहने वाली टीएमसी भी त्रिपुरा में बीजेपी के सामने चुनौती पेश कर रही है. बहरहाल, त्रिपुरा में कौन बाजी मारेगा ये तो दो मार्च को मतगणना के बाद ही पता चलेगा. राज्य में विधानसभा के लिए मतदान 16 फरवरी को होगा.