सीपीआई (एम) के राज्य सचिव और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार जितेंद्र चौधरी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर आदिवासी पार्टी के साथ तालमेल बिठाने में उन्हें कोई समस्या नहीं है.
CPI (M) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी सिंगल डिजिट में सिमटेगी BJP
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के आखिरी दिन मंगलवार को अगरतला प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक प्रेस कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव और मुख्यमंत्री पद के दावेदार जितेंद्र चौधरी ने कहा, “चुनाव के बाद के परिदृश्य में राज्य और देश के लिए कुछ भी आवश्यक हो सकता है.
” इसके साथ ही, उन्होंने जोर देकर कहा कि वाम-कांग्रेस की साझेदारी को बहुमत मिलेगा. हमने पिछले कुछ दिनों में देखा है कि वाम-कांग्रेस गठबंधन पूर्ण बहुमत हासिल करने में सफल होगा. हमें विश्वास है कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन एक अंक में सिमट जाएगा.
टिपरा मोथा को पहले भी साथ आने कहा था- जितेंद्र चौधरी
सीपीआई (एम) के महासचिव सीतीराम येचुरी की मौजूदगी में जितेंद्र चौधरी ने कहा, “टिपरा मोथा को विपक्ष के दल में शामिल करने का प्रयास किया गया, लेकिन उसके नेता प्रद्योत देबबर्मा शामिल नहीं हुए. हालांकि, उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को हराने का संदेश दिया .
कम्युनिस्ट पार्टी को अभी भी इसमें कोई समस्या नहीं होगी कि चुनाव बाद हालात बने तो टिपरा मोथा के साथ किसी भी समायोजन को अंतिम रूप दिया जा सकेगा.” उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के आदिवासियों के लिए आरक्षित 20 सीटों पर टिपरा मोथा का प्रभाव है.
‘लोकतंत्र बहाल’ करने के लिए वाम-कांग्रेस साथ
जितेंद्र चौधरी ने कांग्रेस के साथ आपसी समझ के बारे में बताते हुए कहा कि दोनों पार्टियों के बीच विचारधारा के मतभेद हैं, लेकिन वे राज्य में ‘लोकतंत्र बहाल’ करने के लिए साथ आए हैं.
उन्होंने कहा, “यहां मुख्य मुद्दा यह है कि क्या यहां लोकतंत्र कायम रहेगा, क्या लोकतंत्र जो यहां पांच साल से काम नहीं कर रहा था, उसे बहाल किया जाएगा. अगर लोकतंत्र और संविधान मौजूद नहीं होगा तो विचारधारा या सांगठनिक कार्यक्रम कैसे होंगे?”
भाजपा पर 2018 के वादे पूरा नहीं करने का आरोप
वाम मोर्चे के घोषणापत्र में किए गए चुनावी वादों को गिनाते हुए जितेंद्र चौधरी ने दावा किया कि भाजपा के 2018 के विजन डॉक्यूमेंट से किए गए वादे ‘फ्लैट’ हो गए. उन्होंने कहा, “50 हजार रिक्त पदों को भरने सहित रोजगार के लाखों वादों में से कोई भी पूरा नहीं किया गया.
इसके बजाय कई लोगों की आजीविका छीन ली गई.” उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में चुनाव एक “अप्रत्याशित स्थिति” में हो रहे हैं जहां लोग मुद्दों पर लड़ने के बजाय राजनीतिक एजेंडा तय कर रहे हैं.