चुनाव के बाद किसी पार्टी के विधायकों को तोड़े, वह सरकार नहीं बना पाएगी. उन्होंने कहा कि हम ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ राज्य की मांग का समर्थन नहीं करते, यह व्यावहारिक नहीं है.
त्रिपुरा की बात करें तो यहां भाजपा सत्ता बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. तो वहीं लेफ्ट एक बार फिर से अपना गढ़ वापस लेने का भरकस प्रयास कर रहा है.
कांग्रेस की कोशिश शून्य से अपना नंबर बढ़ाने पर है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन में चुनाव में उतरने का फैसला किया है. यही नहीं इस चुनाव में टिपरा मोथा की एंट्री ने भी चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया है.
कांग्रेस को कितनी सीट मिली
त्रिपुरा चुनाव में लेफ्ट के नेतृत्व वाले गठबंधन में कांग्रेस को केवल 13 सीटें मिली हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी. यहां चर्चा कर दें कि 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका था.
हालांकि, बीते साल सुदीप रॉय बर्मन के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद उपचुनाव में एक सीट पार्टी के खाते में आयी थी. सुदीप रॉय बर्मन इस बार भी कांग्रेस के टिकट से चुनावी मैदान में हैं.
कांग्रेस का ध्यान इन सीटों पर
कांग्रेस के लिए इस बार अच्छी बात ये है कि उसके खाते में जो 13 सीटें आयीं हैं. उनमें 5 सीटें ऐसी हैं जहां 2018 में पार्टी 5 हजार या फिर इससे कम वोटों के अंतर से हार गयी थी. हालांकि, 13 सीटों पर कांग्रेस ने पूरा ध्यान केंद्रीत कर रखा है, लेकिन इन 5 सीटों पर खास ध्यान दे रही है. गठबंधन में होने के बाद पार्टी इन सीटों पर किसी भी कीमत पर कोई चूक नहीं करना चाहती है.
भाजपा क्यों है टेंशन में
भाजपा त्रिपुरा में पूरा जोर लगा रही है. 2018 के चुनाव की बात करें तो इस साल भाजपा ने सीपीएम के 25 साल पुराने किले को ध्वस्त किया था. पहली बार यहां भाजपा ने सरकार बनायी थी. अब अपने कार्यकाल को पांच साल से आगे बढ़ाने के लिए भाजपा को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
आइए आपको इसकी वजह बताते हैं. दरअसल जहां एक और पांच दशक से एक दूसरे के दुश्मन रहे सीपीएम और कांग्रेस इस बार साथ चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर आदिवासी इलाकों में टिपरा मोथा की सक्रियता की वजह से भाजपा टेंशन में है.
त्रिपुरा की बात करें तो यहां भाजपा मजबूत नजर आती है लेकिन केवल इन्हीं इलाकों की बदौलत सरकार बनाना मुश्किल है. आपको बता दें कि 16 फरवरी को प्रदेश में चुनाव है और मतों की गिनती 2 मार्च को होगी.
क्या बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
इस बीच त्रिपुरा की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पहले त्रिपुरा में एक ही शब्द सुनने को मिलता था ‘चंदा’. इन्होंने तीन दशक तक चंदे के नाम पर लोगों को लूटने का लाइसेंस देकर रखा था. हमने त्रिपुरा के लोगों को चंदा-चंदा करने वालों से मुक्त कर दिया है.
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के गरीबों, युवाओं, माताओं-बहनों, जनजातियों के लिए पार्टी ने नए लक्ष्य तय किए और पार्टी ने उन्हें पूरा करने का संकल्प लिया है.त्रिपुरा के लोगों को याद रखना है आपके एक वोट की शक्ति से त्रिपुरा वामपंथ के कुशासन से मुक्त हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि त्रिपुरा पर मां त्रिपुर सुंदरी का आशीर्वाद है. हमारी सरकार त्रिपुरा को त्रि-शक्ति से बढ़ा रही है, वो शक्ति है- आवास, आरोग्य और आमदनी। आवास, आरोग्य और आमदनी त्रिपुरा के लोगों का जीवन आसान बना रही है.