Gujarat Politics: सूरत में BJP के डबल अटैक से बैकफुट पर AAP, इसुदान गढ़वी के सामने पार्टी का पहला गढ़ बचाने की चुनौती

जिस गुजरात ने आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाया आज उसी राज्य मे आप के लिए अस्तितव की चुनौती खड़ी हो गयी है. जो सुरत आप के लिए गुजरात मे एक लॉंचिग पैड़ की तरह साबित हुई थी आज उसी सुरत के गढ को बचाने के लिए पार्टी को अथक प्रयास करने पड़ रहे है. इसुदान गढवी जो आप के प्रदेश अध्यक्ष है उनके सामने पार्षदो का पलायन सुरसा के मुंह जैसा उनके सामने आप के राजनीतिक अस्तितव को निगलने के लिए खड़ा है. आप को समझ नही आ रहा है की वह इस पलायन को रोके कैसे और जो कभी कांग्रेस मे होते पलायन पर राजनीतिक तंज कसा करती थी आज वही पार्टी पलायन का शिकार बन गयी है. बाकि बताते है आपको इस रिर्पोट मे देखिए ……. पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आए आम आदमी पार्टी  के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी के सामने फिलहाल पार्टी का गढ़ बचाने की चुनौती आ गई है. फरवरी 2021 के निकाय चुनावों में सूरत आप के लिए एपीसेंटर बनकर उभरा था. अब वहीं पर पार्टी अपनी कमजोर पड़ती जा रही है. 26 महीने में पार्टी के 12 पार्षद पाला बदल चुके हैं. कभी कांग्रेस के विधायकों के बीजेपी में जाने पर तंज कसने वाले आप नेताओं को अब मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है. आप के प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी बीजेपी पर धनबल और धमका कर पार्षद तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. यहीं आरोप पार्टी के दूसरे नेताओं के भी हैं. हो सकता है कि इन आरोपों में कुछ सच्चाई भी हो या फिर न हो, लेकिन सूत्र बता रहे है कि आम आदमी पार्टी में ऑल इल वेल की स्थिति नहीं है. कहीं न कहीं यह वजह भी पार्षदों की भगदड़ का कारण हो सकती है. पार्टी ने प्रदेश में तमाम पुराने नेताओं को एक झटके में साइड लाइन कर दिया है. इनमें संगठन के पुराने तमाम महामंत्री बदल दिए गए हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संगठन में बदलाव होना चाहिए लेकिन एक साथ कैसे हो सकता है? आधे संगठन मंत्री बदलिए फिर बाकी बाद में बदलिए. आने वाले दिनों अगर कुछ और पार्षदों ने केसरिया केस धारण किया तो पार्टी सूरत महानगर पालिका में मुख्य विपक्षी दल का ओहदा भी गंवा बैठेगी. बीजेपी की लगातार सेंधमारी के बीच पार्टी के पहले गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी इसुदान गढ़वी के कंधों पर है. इसुदान गढ़वी विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश प्रमुख बने थे. गढ़वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को सूरत में मुख्य विपक्षी दल बनाए रखने की है. अगर 12 से कम पार्षद हुए तो पार्टी से यह रुतबा भी छिन जाएगा. अगर आप ने यह पलायन नही रोका तो गुजरात मे फिर से देश की कथित आंदोलनकारी पार्टी रसातल मे ना पहुंच जाए.