Karnataka Politics : कर्नाटक मे शुरु कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति …… कांग्रेस को 2024 मे होगा नूकसान !

कांग्रेस ने हमेशा से तूष्टीकरण की राजनीति को बल दिया है. चुनाव से पहले मंदिर मंदिर और चुनाव के बाद कांग्रेस का जालीदार गोल टोपी से प्रेम जगजाहीर हो जाता है. कर्नाटक चुनाव मे जो कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान कह रही थी की हम चुनाव जितने के महाबली के 81 मंदिर बनाएंगे सरकार मे आते ही पहला काम सरकार ने एक धर्म विशेष लोगो के लिए किया. सरकार करे भी क्यों ना क्योकी कांग्रेस के ही एक पूर्व प्रधानमंत्री ने देश के लोकतांत्रिक मंदिर के भीतर कहा था की इस देश के संसाधनो पर पहला हक देश के एक धर्मविशेष समूदाय का हैं. कांग्रेस की यह रित शूरु से रही है की लोगो को धर्म वर्गो मे बांटो और राज करो और कर्नाटक मे भी सरकार ने यही किया देश के बहुसंख्यकों को दरकिनार कर एक धर्म विशेष के हक मे पहला फैसला लिया हैं. क्या है खबर बताते है आपको ………….. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस ले लिया है. इस कानून को भाजपा की सरकार लेकर आई थी. चर्चा है कि इसके बाद गोहत्या निरोधक कानून के सख्त प्रावधानों को भी कांग्रेस सरकार कमजोर कर सकती है. आज हुई सिद्धारमैया सरकार की कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया है. मीटिंग में आरएसएस के संस्थापक रहे केशव बलिराम हेडगेवार को स्कूली किताबों के सिलेबस से हटा दिया है. कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा, ‘हेडगेवार पर स्कूल सिलेबस में जो दिया गया था, उसे हटाया गया है. पिछले सरकार ने बीते साल जो भी बदलाव किए थे, उन्हें वापस लिया गया है. अब वही पढ़ाई होगी, जो पहले होती थी. इसके अलावा कैबिनेट ने एक फैसला और लिया है कि सभी सरकारी, गैर-सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों एवं कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य़ होगा. कांग्रेस सरकार की ओर से धर्मांतरण विरोधी कानून को हटाने पर भाजपा ने हमला बोला है. पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘ये लोग मुसलमानों के वोट चाहते हैं. सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है. ये लोग तो हिजाब को फिर से लागू करा सकते हैं. ये लोग अल्पसंख्यकों को वोट हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सब चीजों को राजनीति से जोड़ देते हैं.’ चर्चा है कि कांग्रेस सरकार गोहत्या निरोधक कानून भी हटा सकती है. पिछले दिनों एक मंत्री ने यहां तक कहा था कि यदि भैंसों को काटा जा सकता है तो फिर गायों को क्यों नहीं.