देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू (First Tribal President Droupadi Murmu) ने आज शपथ ग्रहण के साथ अपना पद संभाल लिया है। शपथ ग्रहण के बाद दिल्ली के रायसीना हिल्स (Raisina Hills) स्थिति राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में आयोजित एक समारोह में उन्हें सलामी दी गई। अगले पांच वर्ष तक दिल्ली का राष्ट्रपति भवन उनका आधिकारिक निवास होगा। इसके अलावा राष्ट्रपति के दो और आधिकारिक निवास, हैदराबाद और शिमला में भी हैं। राष्ट्रपति के ये दोनों आवास भी देश ही नहीं, दुनिया की चुनिंदा खूबसूरत और आलीशान इमारतों में शामिल हैं। आइये जानते हैं, क्या है हैदराबाद और शिमला के राष्ट्रपति भवन की खासियतें और उससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
रायसीना हिल्स,दिल्ली
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देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) के रायसीना हिल्स (Raisina Hills) क्षेत्र में राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) का निर्माण ब्रिटिश राज के मशहूर आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) की देखरेख में हुआ था। H आकार के इस राष्ट्रपति भवन का निर्माण 1912 में ब्रिटिश वायसराय के लिए शुरू हुआ था। 17 वर्ष बाद 1929 में वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) का निर्माण पूरा हुआ था। आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का ये आधिकारिक निवास बना। तब इसका नाम राष्ट्रपति भवन रखा गया। राष्ट्रपति भवन परिसर का कुल क्षेत्रफल 330 एकड़ है, जिसके पांच एकड़ में 340 कमरों वाला चार मंजिला भवन बना है। राष्ट्रपति परिसर में ढाई किलोमीटर लंबा कॉरिडोर (राजपथ) और 190 एकड़ का गार्डन एरिया भी शामिल है।
हिमाचल के शिमला जिले में मशोब्रा की पहाड़ी चोटी पर राष्ट्रपति का दूसरा आधिकारिक निवास है, जिसे दि रिट्रीट बिल्डिंग (The Retreat Building, Mashobra, Shimla) कहा जाता है। शिमला स्थिति ये राष्ट्रपति निवास (President House in Shimla) उनके तीनों निवास में सबसे पुराना है। शिमला से इसकी दूरी 13 किलोमीटर और ऊंचाई 1000 फुट ज्यादा है। इस भवन का निर्माण शिमला के एक चिकित्सा अधीक्षक (Medical Superintendent) द्वारा 1850 में कराया गया था। बाद में इसे कोटी (वर्तमान में मध्य प्रदेश के सतना जिले का हिस्सा) के राजा (Raja of Koti) ने ले लिया था। कई बड़े अंग्रेज अधिकारियों ने उनका ये महल किराए पर लिया। 1895 के आसपास कोटी के राजा ने ये महल हमेशा के लिए सरकार को दे दिया। इसके बाद कई ब्रिटिश वायसराय ने इसका प्रयोग किया। आजादी के बाद दिल्ली के वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) की तरह शिमला का वायसराय रिट्रीट भी भारत को सौंप दिया गया। राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम एक बार (गर्मियों में) यहां पर दो सप्ताह के लिए जरूर आते हैं। इस दौरान वह यहां से सरकारी कार्य भी करते हैं।
दि रिट्रीट बिल्डिंग 987.4 वर्ग मीटिर (10,628 वर्ग फुट) में बनी है। ये राष्ट्रपति भवन पूरी तरह से लकड़ियों से बना हुआ है। यहां कि दीवारे धाजी वॉल कंस्ट्रक्शन (Dhajji Wall Construction) तकनीक से बनी हुई हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल कश्मीर समेत अन्य पहाड़ी इलाकों में भूकंपरोधी घर बनाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में लकड़ी के फ्रेम के बीच में पतले और हल्के पैनल, पत्थर और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। शिमला का ये राष्ट्रपति भवन अपने आर्किटेक्ट और आसपास की खूबसूरती की वजह से शिमला के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है।
राष्ट्रपति निलयम, राष्ट्रपति का तीसरा आधिकारिक निवास है। पूर्व में इसे रेजिडेंसी हाउस (Residency House) कहा जाता था। तेलंगाना के हैदराबाद शहर (बोलारम, सिकंदराबाद) में स्थिति राष्ट्रपति निलयम (Rashtrapati Nilayam, Bolarum, Hyderabad) भी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से पुराना है। वर्ष 1860 में हैदराबाद के निजाम नजीर-उद-दौला (Nizam Nazir-ud-Dowla) द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। ब्रिटिश शासन में अंग्रेज अधिकारियों ने इसका इस्तेमाल किया। आजादी के बाद ये राष्ट्रपति के निवास के तौर पर प्रयोग होने लगा। राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम एक बार (सर्दियों में) दो सप्ताह के लिए यहां रहते हुए सरकारी कार्य करते हैं।
राष्ट्रपति निलयम 3,60,000 वर्ग मीटर (90 एकड़) में बना एक मंजिला भवन है, जिसमें कुल 11 कमरे हैं। इसके अलावा यहां पर देश के गणमान्य अतिथियों को ठहराने के लिए एक गेस्ट हाउस भी है, जिसकी क्षमता 150 लोगों की है। यहां पर एक डाइनिंग हॉल (President’s Dining Hall), दरबार हॉल (President’s Darbar Hall), मॉर्निंग रूम, सिनेमा हॉल समेत कई सुविधाएं हैं। राष्ट्रपति निलमय का किचन और डाइनिंग हॉल अलग-अलग बिल्डिंग में है, जो एक टनल से जुड़ा हुआ है, जो इसे अनोखा बनाता है। इस परिसर में एक बड़ा और खूबसूरत गार्डन है, जिसमें फल-फूल के सात अलग-अलग पोषण उद्यान हैं। इसके अलावा यहां सात हजार वर्ग मीटर का एक हर्बल गार्डन भी वर्ष 2009 में बनकर तैयार हुआ है। इसमें 116 प्रजाति के औषधीय और सुगंधित (Medicinal and Aromatic Plants) किस्म के पौधे हैं।